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जानिए कैसे करें धान की उत्तम खेती , लगनें वाले रोग और उनका उपचार

धान भारत की प्रमुख फसलों में से एक है।  इसकी पैदावार भारत के उत्तरीय इलाके में अत्यधिक होती है। किसान भाई धान की उन्नत खेती से अच्छी आय कमा सकते हैं। धान क्षेत्रफल एवं उत्पादन की दृष्टि से भारत का विश्व में चीन के बाद दूसरा स्थान है। देश में धान का वार्षिक उत्पादन 104.32 मिलियन टन तथा औसत उत्पादकता 2390 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर है। देश में पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश, पंजाब, तमिलनाडू, आंध्रप्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिसा, असम, हरियाणा व मध्यप्रदेश प्रमुख धान उत्पादनक राज्य हैं। इसकी खेती अधिकतर वर्षा आधारित दशा में होती है, जो धान के कुल क्षेत्रफल का 75 प्रतिशत है। आज हम अपने इस लेख में जानेंगे की धान की उत्तम खेती कैसे करें , धान में लगने वाला रोग कौन सा है और कैसे अपने धान की उत्पादन क्षमता को बढ़ा सकते है।

आप यह ब्लॉग Geeken Chemicals India Limited के ऑफिशियल पेज पर पढ़ रहें है।  जीकेन केमिकल्स भारत में कई वर्षों से रासायनिक उर्वरक , और कीटनाशक  , बनाता आ रहा है।  जीकेन केमिकल्स भारत के किसानों के लिए सबसे भरोसेमंद कंपनी में से एक है।  Geeken Chemicals India Limited हमारे देश के किसानों को फसल सुरक्षा उत्पादों की सर्वोच्च गुणवत्ता प्रदान करती है।

किसान भाइयों , हमारा भारत देश कृषि प्रधान देश है।  यहाँ के किसानों की मिशाल सदियों से दी जाती रही है। इसके पीछे का प्रमुख कारण है कम संसाधन में अत्यधिक फसल का उत्पादन करना। यहां की लगभग एक तिहाई जनसंख्या कृषि पर निर्भर करती है। भारत में अनेक प्रकार की फसलें बोई जाती हैं। प्रत्येक फसल के बोने व काटने का समय अलग अलग होता है। इसी प्रकार धान की भी फसल है जो एक प्रकार की खरीफ की फसल है। यह हमारे देश को लोगों का एक प्रमुख खाद्यान्न है। इसके अलावा मक्का के बाद जो फसल सबसे ज्यादा बोई जाती है वो धान है। अगर इसकी खेती में पर्याप्त सावधानी बरती जाए तो इससे किसान ज्यादा मुनाफा कमा सकता है। Geeken Chemicals India Limited कई सालों से किसानों की फसल के उत्पादन क्षमता को बढ़ानें के लिए काम कर रहा है।

धान की खेती के लिए ये जलवायु है उत्तम (This climate is best for paddy cultivation)

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धान उष्ण व उपोष्ण जलवायु की फसल है।  इसकी खेती में 4 से 6 महीनों तक औसत तापमान 21 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक पर की जाती है।  फसल की अच्छी बढ़वार के समय 25 से 30 डिग्री सेल्सियस, तो वहीं पकते समय 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान उचित रहना चाहिए।

धान की खेती के लिए ये मिट्टी है उत्तम (This soil is best for paddy cultivation)

अधिक जलधारण क्षमता रखने वाली मिटटी जैसे- चिकनी, मटियार या मटियार-दोमट मिट्टी उचित रहती है। इसका पी.एच मान 5.5 से 6.5 होना चाहिए।

बुवाई का समय :-

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धान की फसल एक प्रकार की खरीफ की फसल है जो मुख्य रूप से बरसात शुरू होने के पहले बोई जाती है। यह फसल मई की शुरुआत में बोई जाती है, ताकि मानसून आते ही किसान धान की रोपाई शुरू कर दें। धान की फसल में मुख्य रुप से ध्यान रखने योग्य बात बीज का शोधन है इसमें किसान कई महंगे बीजों को खरीद कर फसल में अच्छी लागत नहीं पा पाते। इसके लिए किसानों को उच्च गुणवत्ता के बीच के साथ बीजों का उपचार भी करना चाहिए।

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खरपतवार नियंत्रण

धान में खरपतवार नियंत्रण अलग-अलग ढंग से किया जाता है। रासायनिक विधि से शाकनाशी रसायनों को निर्धारित मात्रा में प्रयोग करना चाहिए। खरपतवारनाशी रसायनों की आवश्यक मात्रा का 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हैक्टर की दर से समान रूप से छिडक़ाव करना चाहिए।

धान की फसल में लगने वाले कीड़े :-

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हिस्पाः

इस कीट के गिडार पत्तियों में सुरंग बनाकर हरे भाग को खाते हैं, जिससे पत्तियों पर फफोले जैसी आकृति बन जाती है।प्रौढ़ कीट पत्तियों के हरे भाग को खुरच कर खाते हैं। Geeken Chemicals India Limited कई सालों से किसानों की फसल के उत्पादन क्षमता को बढ़ानें के लिए काम कर रहा है।

बंका कीटः

इस कीट की सूड़ियॉ पत्तियों को अपने शरीर के बराबर काटकर खोल बना लेती हैं तथा उसी के अन्दर रहकर दूसरे पत्तियों से चिपककर उसके हरे भाग को खुरचकर खाती हैं।

तना बेधकः

इस कीट की मादा पत्तियों पर समूह में अंडा देती है। अंडों से सूड़ियां निकलकर तनों में घुसकर मुख्य सूट को क्षति पहुँचाती हैं, जिससे बढ़वार की स्थिति में मृतगोभ तथा बालियां आने पर सफेद बाली दिखाई देती हैं।

हरा फुदकाः

इस कीट के प्रौढ़ हरे रंग के होते हैं तथा इनके ऊपरी पंखों के दोनों किनारों पर काले बिन्दु पाये जाते हैं। इस कीट के शिशु एवं प्रौढ़ दोनों ही पत्तियों से रस चूसकर हानि पहुँचाते हैं, जिससे प्रसित पत्तियां पहले पीली व बाद में कत्थई रंग की होकर नोक से नीचे की तरफ सूखने लगती हैं।

भूरा फुदकाः

इस कीट के प्रौढ भूरे रंग के पंखयुक्त तथा शिशु पंखहीन भूरे रंग के होते हैं। इस कीट के शिशु एवं प्रौढ़ दोनो ही पत्तियों एवं किल्लों के मध्य रस चूस कर छति पहॅुचाते हैं, जिससे प्रकोप के प्रारम्भ में गोलाई में पौधे काले होकर सूखने लगते हैं, जिसे ‘हापर बर्न’ भी कहते हैं। यह फसल को सबसे ज्यादा नुकशान पहुँचता है।  Geeken Chemicals India Limited कई सालों से किसानों की फसल के उत्पादन क्षमता को बढ़ानें के लिए काम कर रहा है।

सफेद पीठ वाला फुदकाः

इस कीट के प्रौढ़ कालापन लिये हुए भूरे रंग के तथा पीले शरीर वाले होते हैं। इनके पंखों के जोड़कर सफेद पट्टी होती है। शिशु सफेद रंग के पंखहीन होते हैं तथा इनके उदर पर सफेद एवं काले धब्बे पाये जाते हैं। इस कीट के शिशु एवं प्रौढ़ दोनो ही पत्तियों एवं किल्लों के मध्य रस चूसते हैं, जिससे पौधे पीले पड़कर सूख जाते हैं।

 

कैसे करें इन कीड़ों को खत्म :-

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किसान भाइयों, अब आपको घबरानें की जरुरत नहीं है , क्योंकि इस तरह के कीड़ों को खत्म करनें के लिए  Geeken Chemicals India Limited सदैव आपके साथ है।  जीकेन केमिकल्स इन सभी फुदका को खत्म करने के लिए लेकर आया है अपना BLACK STAR CHEMICALS  Buprofezin 25% SC Insecticide. जो फसलों के तह तक जाकर कीड़ों को खत्म करता है।  बाजार में आप इसे आसानी से खरीद सकते है।   यह कीटनाशक जीवर्ट सिलिकॉन स्टिकर और परासिटॉयड के साथ इस्तेमाल करने से अधिक प्रभाव से काम करता है।

BLACK STAR CHEMICALS को मुख्यरूप से किट वृद्धि नियंत्रक भी माना जाता है, जो किट के त्वचा कि काइटिन को बनाने से रोकता है। इस केमिकल्स को बनाने से पहले यह भी ध्यान दिया गया है कि किसान भाइयों की जमीन को नुकशान न पहुंचे और पर्यावरण भी सुरक्षित रहें।

धान की कटाई (Paddy Harvesting)

बुवाई के 3 से 5 महीने में धान की अलग-अलग किस्म पककर तैयार हो जाती हैं। तैयार फसल का रंग पीला और पत्तियों का रंग सुनहरा हो जाए, तो हंसिये से कटाई कर सकते हैं। वैसे मौजूदा समय में धान की कटाई के लिए कई तरह के कृषि यंत्र भी आते हैं।  इसके बाद गट्ठा बांधकर उसे सुरक्षित खलियान में ले जाकर 10 दिन तक सुखाते हैं। Geeken Chemicals India Limited कई सालों से किसानों की फसल के उत्पादन क्षमता को बढ़ानें के लिए काम कर रहा है।

निष्कर्ष :-

 

आपने यहाँ जाना की धान की रुपाई कैसे करें , व धान में लगने वाले रोग कौन – कौन से है और उनका उपचार क्या है।  आशा है किसान भाइयों को हमारे द्वारा दी हुई जानकारी अच्छे से समझ में आ गयी होगी। हम लगातार खेती से जुड़े ब्लॉग इसी तरह से लाते रहेंगे।  आप अपने फसल से जुड़े किसी भी अन्य जानकारी के लिए हमें कॉल (+91 9999570297) भी कर सकते है।  हम भारत में कई वर्षों से किसान और पर्यावरण दोनों को ध्यान में रखकर रासायनिक केमिकल्स बनाते है।  जिससे हमारे किसान भाइयों की फसल से अत्यधिक पैदावार हो सके।