किन्नू की खेती में भूमि जलवायु और तापमान के बारे में जानकारी , ऐसे करें इसकी खेती

Published Date: January 11, 2023

GEEKEN CHEMICALS :- किन्नू एक नींबू की प्रजाति का फसल है। जिसमें कई सारी चीजें शामिल है। भारत में इसकी खेती प्रमुखता से की जाती है। किन्नू में विटामिन सी, की मात्रा सबसे ज्यादा पायी जाती है और इसमें विटामिन ए , बी भी इसमें शामिल है। किन्नू खट्टे और मीठे का संतुलन आहार प्रदान करता है। इसके फलों पर निकलने वाले छिलके न ज्यादा शख्त होते है और न ही मुलायम। ऐसे में इसके सेवन से कई तरह की बीमारी को खत्म किया जा सकता है। किन्नू के सेवन से हमारे शरीर का खून बढ़ता है और पाचन शक्ति मजबूत होती है , यह हमारे हड्डियों को मजबूती भी प्रदान करता है। कुछ समय से किन्नू की खेती प्रमुखता से की जा रही है, जिसके पीछे की वजह देश में बढ़ रही किन्नू की लोकप्रियता है।

किसान भाइयों इसके फलों से रस भी काफी ज्यादा मात्रा में मिलता है और बाजार में इसकी मांग भी बहुत है ऐसे में किसान इसकी कहती करके अच्छा पैसा कमा सकते है। भारत में किन्नू का उत्पादन हिमचाल प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर में सबसे ज्यादा किया जाता है। अगर आप भी किन्नू की खेती का मन बना रहे है तो आज का यह ब्लॉग आपके लिए मददगार साबित हो सकता है।

आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के माध्यम से पढ़ रहे है। हम आपके लिए कृषि जगत से जुडी जानकारी पहुंचाने का काम करते है। अगर आप अपने फसल का बेहतर उत्पादन करना चाहते है तो हमारे कैमिकल का प्रयोग करके बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते है। आज के समय में जीकेन सबसे अच्छे तरीके का कीटनाशक बनाता है , जिसके प्रयोग से आप अपने फसलों में लगने वाले हानिकारक कीटों, खरपतवारों आदि को खत्म कर सकते है।

किन्नू की खेती में भूमि जलवायु और तापमान

किन्नू की खेती आज के समय में बहुत बड़े भू – भाग में की जाती है। इसकी खेती करने के लिए दोमट मिट्टी, चिकनी मिट्टी और तेजाबी मिट्टी में आसानी से की जाती है। इसकी खेती के लिए उपजाऊ व उचित जलनिकासी वाली जमीन का होना जरुरी है। कभी भी किन्नू की खेती क्षारीय भूमि पर नहीं करना चाहिए। क्षारीय भूमि इसकी खेती के लिए हानिकारक होती है। किसान भाइयों पौधे के अच्छे विकास के लिए किन्नू की खेती 5.5 से 7.5 के मध्य P.H. मान की जमीन पर करना चाहिए।

किसान भाइयों किन्नू का पौधा उपोष्ण जलवायु वाला पौधा है, जिस वजह से इसे अर्द्ध शुष्क जलवायु का भी पौधा माना जाता है। इस पौधे को शुरुआत में 10 से 35 डिग्री तापमान की जरुरत पड़ती है। इस तापमान में पौधों का विकास अच्छे से होता है ऐसे में इसकी खेती करने से कई तरह के फायदें है। आज के समय में इसकी मांग भी लगातार बढ़ती जा रही है। किसान इसकी खेती के लिए लगातार आगे आ रहे है।

किन्नू की उन्नत किस्में (Improved Varieties Kinnow)

किन्नों

किन्नो हमारे देश की प्रमुख फसलों में से एक है। इसके पौधों का रंग सुनहरा होता है, जिसका स्वाद हल्का खट्टा और इसका रस मीठा होता है होता है। इस तरह के किस्म को हम जनवरी के महीने में तुड़ाई कर सकते है।

लोकल

इस तरह के किस्में पंजाब में उगाई जाती है ऐसे में इसमें से निकलने वाले फल का आकर सामान्य होता है और छोटा भी होता है। यह किस्म भी जनवरी के महीने में तैयार हो जाता है। ऐसे में किसन इसकी खेती करके जनवरी के महीने में तुड़ाई कर सकते है। इसका छिलका संतरी और पीले रंग का होता है।

पाव किन्नौ 1

किन्नू के इस किस्म की तुड़ाई भी जनवरी के महीने में की जाती है। इसके फलों में बीज की संख्या काफी अधिक होती है। इस किस्म के पेड़ अच्छा उत्पादन प्रदान करते है।

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किन्नू के खेत की तैयारी (Tangerine Field Preparation)

किन्नू की खेती को भुरभुरी मिट्टी में करना सही होता है। इसके लिए खेत की सबसे पहले जुताई करनी चाहिए। जुताई करने के बाद खेत को कुछ दिनों के लिए ऐसे ही छोड़ देना चाहिए। जब खेत में अच्छी तरह से धूप लग जाए तो इसकी एक बार फिर से गहरी जुताई कर देनी चाहिए। जुताई कर देने के बाद पानी छोड़ देना चाहिए। जब खेत का पानी सूखने लगे तो रोटावेटर लगाकर दो से तिरछी जुताई कर देना चाहिए। ऐसा करने से खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है। भुरभुरी मिट्टी में हमें पाटा लगाकर जुताई करनी चाहिए। इसके पौधों की रोपाई के लिए उचित दूरी पर गड्ढे बना लेना चाहिए।

किन्नू के बीज की रोपाई का समय और ढंग (Kinnow Seeds Sowing Timing and Method)

किसान भाइयों किन्नू के बीज की रोपाई हम सीधा बीज के रूप में करते है। इसके बीज को हमेशा कतारों में लगाना चाहिए। जब भी किन्नो का पौधा 10 से 12 सेमी लंबा हो जाये तो खेत में इसकी रोपाई कर देनी चाहिए। खेत में उन्हीं पौधों को लगाना चाहिए जो स्वस्थ्य दीखते हो। खेत में लगाने से पहले गड्ढे को तैयार कर लेते है जिसके बाद हम पौधों को लगाते है। पौधों को खेत में लगाने से पहले जड़ों की छटाई कर लें। किसान भाइयों किन्नू के पौधों को तेज चलने वाली हवा से बचाने के लिए हमें खेत के चारों तरफ अमरुद , जामुन , शीशम , आम , शहतूत आदि चीजों का पौधा लगा सकते है। अगर इसके पौधे की रोपाई की बात करें तो जून से सितंबर महीने में की जाती है।

किन्नू के पौधों की सिंचाई (Kinnow Plants Irrigation)

किन्नू के पौधों को सिंचाई की ज्यादा जरुरत पड़ती है। इसके लिए खेत में हमेशा नमी बनाए रखें। अगर 3 से 4 साल पुराने पौधे है तो इन्हे हफ्ते में एक बार पानी देना जरुरी है। वहीं बारिश के मौसम में इसके पौधे को 2 -3 हफ्ते में पानी देना चाहिए।

किन्नू की फसल में खरपतवार नियंत्रण (Kinnow Crop Weed Control)

किन्नू के पौधे को खरपतवार से बचाना बहुत जरुरी है , इसलिए इसके पौधे को समय – समय पर निराई – गुड़ाई करते रहना चाहिए। इसके पौधों की पहली गुड़ाई 25 -30 दिन के बाद में की जाती है साथ ही इसके पौधे की बाकि गुड़ाई को खरपतवार दिखाई देने पर करना चाहिए। किसान भाइयों इसके खरपतवार को खत्म करने के लिए आप GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बने कीटनाशक का प्रयोग कर सकते है। आज के समय में GEEKEN CHEMICALS सबसे अच्छे तरीके का कीटनाशक बनाने वाली कंपनी में से एक है।

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निष्कर्ष :-

किसान भाइयों आज के इस ब्लॉग में हमने जाना की किन्नू की खेती में भूमि जलवायु और तापमान कैसा होना चाहिए। किसान अगर इसकी खेती करने जा रहे है तो हमारे इस ब्लॉग के माध्यम से कर सकते है। आशा है कि किसान भाइयों को हमारा यह ब्लॉग पसंद आएगा। किसान भाइयों आप हमारे इस ब्लॉग को सोशल मीडिया के माध्यम से शेयर जरूर करे , जिससे और भी किसान अपने फसलों के प्रति जागरूक हो सके। किसान भाइयों अगर आप GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बने कीटनाशक को खरीदना चाहते है तो कॉल (+91 – 9999570297) करें।