गन्ने के पोक्का बोइंग रोग को कैसे करें खत्म, यहां जानिए गन्ने की खेती करने का तरीका
GEEKEN CHEMICALS :- आज के समय में मीठा किसे खाना पसंद नहीं है। हमारे रोजमर्रा की जिंदगी में कई ऐसी चीजें है जो गन्ने से बनाई जाती है उन्ही चीजों में शामिल है शक्कर, गुड़, राब, मिश्री आदि। गन्ना हमारे देश की प्रमुख फसल भी है , इसकी खेती भारत के बहुत बड़े भू – भाग में की जाती है। भारत में इसकी खेती नगदी फसल के रूप में की जाती है। हमारे देश में गन्ना की खेती प्राचीन काल से होती आ रही है। वहीं गन्ना की खेती पूरे विश्व में सबसे ज्यादा चीन में की जाती है , इसके बाद दूसरे नंबर पर भारत में की जाती है। आज के समय में गन्ना की खेती से लाखों लोगों का रोजगार चलता है जिससे आप अंदाजा लगा सकते है की इसकी खेती कितने बड़े भू – भाग में की जाती है। आइये जानते है कि गन्ना की खेती कैसे कर सकते है , इसमें लगने वाले रोग को हम कैसे खत्म कर सकते हैं।
किसान भाइयों आज के समय में गन्ने की खेती प्रमुखता से की जाती है ऐसे में GEEKEN CHEMICALS आपके लिए इससे जुड़ी जानकारी को पहुंचाने का काम कर रहा है। अगर आप नये साल में गन्ने की खेती करने जा रहें है तो यह ब्लॉग आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकता है। किसान भाइयों GEEKEN CHEMICALS अलग – अलग तरह की जानकारी पहुंचाने के साथ -साथ कीटनाशक , खरपतवारनाशक , कवकनाशक इत्यादि तरह का रासायनिक कैमिकल भी बनाता है। ऐसे में किसान भाइयों के लिए दुगना फायदा है वह आसानी से कैमिकल का प्रयोग करके अपने फसल में लगने वाले हानिकारक कीटों को खत्म कर सकता है।
गन्ना की खेती (sugarcane farming) के लिए ज़रूरी जलवायु:-
किसान भाइयों गन्ना आर्द्र जलवायु का पौधा माना जाता है , इसकी खेती भारत ज्यादातर किसान तराई वाले हिस्से में करते है। विषम परिस्थिति में भी इसके पौधे का विकास आसानी से किया जा सकता है। गन्ने के पौधे को सबसे ज्यादा सिंचाई की जरूरत पड़ती है , ऐसे में इसकी खेती करते समय सिंचाई की व्यवस्था पहले से ही करनी चाहिए। गन्ने के अनुकरण के समय 21 -25 डिग्री तापमान का होना जरुरी है। गन्ने के कल्ले जब निकलने लगे तो 30 -35 डिग्री तापमान का होना जरुरी है। किसान भाइयों आज के समय में गन्ने की खेती काफी फायदें का सौदा हो सकता है ऐसे में जरुरी है की हम अपने फसल की देखभाल अच्छे से करें।
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गन्ने की खेती के लिए मिट्टी :-
गन्ने के खेती के लिए हमें उपजाऊ मिट्टी की जरूरत होती है। ऐसे में दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी मानी जाती है लेकिन कहीं – कहीं पर इसकी खेती काली मिट्टी में भी की जाती है। गन्ने की खेती सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में की जाती है। इसके अलावा किसान इसकी खेती पीली मिट्टी और बलुई मिट्टी में भी आसानी से कर सकते है। गन्ने की खेती ऐसी जगह पर नहीं करना चाहिए जहां पर क्षारीय और अम्लीय मिट्टी हो या फिर पानी का जमाव होता हो क्योंकि ऐसी मिट्टी में गन्ने का पौधा अच्छे से बढ़वार नहीं कर पाता है। अगर इसकी खेती के लिए पीएच मान की बात करें तो 5 से 8.5 पीएच मान पर इसकी खेती आसानी से की जा सकती है। आज के समय में गन्ने की खेती किसान भाइयों के लिए फायदें की खेती मानी जाती है।
गन्ने की खेती करने का सही समय :-
किसान भाइयों हमारे देश में गन्ने की खेती शरदकालीन या बसंतकालीन दोनों ही मौसम में की जाती है। गन्ने की अच्छी पैदावार के लिए अक्टूबर-नवम्बर का महीना सबसे अच्छा माना जाता है वहीं उत्तर भारत में गन्ने की खेती फरवरी – मार्च के महीने में की जाती है। बसंत का महीना भी गन्ने की बुवाई के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। अगर हम उत्तर प्रदेश की बात करें तो फरवरी-मार्च में इसकी खेती की जाती है वहीं हरियाणा में गन्ने की रोपाई मार्च महीने में और बिहार में इसकी रोपाई जनवरी के महीने में ही कर दी जाती है। गन्ने के अच्छे अंकुरण के लिए तापमान का भी सही होना जरुरी है।
खेती की तैयारी कैसे करें
गन्ना एक तरह का बहुवर्षीय फसल है इसकी खेती करने के लिए पहले हमें गहरी जुताई करनी चाहिए ,इसके बाद गोबर या कम्पोस्ट खाद मिलाकर खेत की जुताई करनी चाहिए। किसान रोटावेटर या फिर पाटा चलाकर भी खेत की जुताई कर सकते है। गन्ने की कंद को लगाते समय यह ध्यान रहें की मिट्टी का भुरभुरा होना जरुरी है इससे गन्ने की जड़े गहराई तक जाती है। किसान भाइयों को गन्ने की खेती करते समय निगरानी करने की जरूरत पड़ती है ऐसे में किसान भाइयों को इसके देखभाल की भी व्यवस्था पहले से कर लेनी चाहिए। गन्ने के कंद को लगने से पहले उपचारित कर लेना जरुरी है।
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गन्ने के पोक्का बोइंग रोग :-
किसान भाइयों गन्ने के पोक्का बोइंग रोग ज्यादातर फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोरम नामक फफूंदी के कारण होता है। इसके प्रभाव से गन्ने के ऊपर निकलने वाली पत्तियां प्रभावित होने लगती है। गन्ने की पत्तियां जब निकलती है तो आपस में चिपकी हुई और चूड़ीदार निकलती है और उस भाग में हरापन खत्म हो जाता है। कृषि एक्सपर्ट की मानें तो अगर इस रोग की तीव्रता अधिक हुई तो गन्ने के फसल के ऊपरी भाग में सड़न भी होने लगता है। ऐसे में किसान भाइयों को अपने फसल की सुरक्षा करने की जरूरत है।
कैसे करें रोकथाम :-
किसान भाइयों की फसल में अगर इस तरह के रोग लग रहे है तो जल्द से जल्द इसका उपचार करना चाहिए। किसान इसके लिए GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बने कीटनाशक का प्रयोग कर सकते है। GEEKEN CHEMICALS ने पोक्का बोइंग रोग को खत्म करने के लिए अपना सबसे शानदार कैमिकल बनाया है YAKOO (Tebuconazole10%+SULPHUR 65%WG) इस कैमिकल के द्वारा कम समय में पोक्का बोइंग रोग को खत्म किया जा सकता है।
गन्ने की कटाई :-
किसान भाइयों गन्ने की कटाई फसल की आयु और बुवाई के आधार पर की जाती है। इसलिए इसके कटाई का समय अलग – अलग हो सकता है। कृषि एक्सपर्ट के मुताबिक इसकी कटाई नवंबर से अप्रैल तक की जाती है। कटाई के बाद आपको सीधे गन्ने की फसल को शुगर मिल में लेकर जाना चाहिए , ज्यादा समय तक इसे रखने से वजन घटने लगता है और शुगर के सकर में भी कमी आ जाती है। किसान अगर गन्ने को शुगर की कंपनी में नहीं भेज सकते है तो गन्ने की कटाई करके गुड़ बना लेना चाहिए।
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निष्कर्ष :-
किसान भाइयों आज के इस ब्लॉग में हमनें गन्ने के पोक्का बोइंग रोग के बारे में जानकारी प्राप्त की, आशा है कि किसान भाइयों को हमारी यह जानकारी पसंद आई होगी। इसलिए हमारे इस ब्लॉग को शेयर जरूर करें। किसान भाइयों आज के समय में गन्ने की खेती काफी फायदेमंद मानी जाती है , इसलिए अगर आप इसकी खेती करने जा रहे है तो सुरक्षा की जिम्मेदारी भी आपकी है। ऐसे में अगर आपके गन्ने की फसल में किसी भी तरह के रोग , कीट , खरपतवार , इत्यादि दिखाई पड़ रहे है तो GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बनें प्रोडक्ट का प्रयोग कर सकते है। आज के समय में GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बनें प्रोडक्ट को 10 लाख से भी ज्यादा किसान प्रयोग करके अपना भरोसा जता रहें है। अगर आप हमारे कीटनशक को खरीदना चाहते है तो कॉल (+91 – 9999570297) करें।