मसूर की खेती कैसे करें ,यहां जानिए मसूर की खेती में खरपतवार नाशक दवा के बारे में

Published Date: January 13, 2023

GEEKEN CHEMICALS :- रबी की दलहनी फसल में मसूर काफी फेमस है। भारत में इसकी खेती भी प्रमुखता से की जाती है। पूरे विश्व में अगर इसकी खेती पर नजर डाले तो सबसे ज्यादा खेती भारत में ही की जाती है। धान के उत्पादन के बाद किसान मसूर की खेती करना ज्यादा पसंद करते है। इसकी खेती ज्यादातर असिंचित क्षेत्रों में की जाती है। मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए भी मसूर की खेती करना जरुरी है। आज के समय में उन्नतशील उत्पादन तकनीको का प्रयोग करके किसान अच्छी पैदावार कर रहे है। आज के इस ब्लॉग में हम मसूर की खेती के बारे में बताने जा रहे है। किसान भाइयों आपसे निवेदन है की ब्लॉग को पूरा पढ़ना और अच्छा लगे तो शेयर भी जरूर करना।

मसूर का प्रयोग हम दाल बनाने के लिए करते है लेकिन आज के समय में इससे और भी कई चीजें बनाई जा रही है। ऐसे में मसूर की खेती से किसान भाइयों को बहुत फायदा हो सकता है। किसान भाइयों मसूर की खेती व्यपारिक तौर पर भी काफी मुनाफे वाला है। ऐसे में इसकी खेती करने से किसान भाइयों को बहुत फायदा हो सकता है।

आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के द्वारा पढ़ रहे है। हम आपके लिए कृषि जगत से जुडी जानकारी पहुंचाने का काम करते है। आज के समय किसान भाइयों फसल की सुरक्षा करना बहुत जरुरी है , जिससे पैदावार अच्छी हो सके। ऐसे में आप GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बने कीटनाशक का प्रयोग कर सकते है। आज के समय में GEEKEN CHEMICALS भारत के 10 लाख से भी ज्यादा किसान भाइयों के फसल को सुरक्षा प्रदान कर रहा है। आज के समय में जीकेन Best agrochemical companies in India में से एक है।

भारत में मसूर की खेती

भारत में मसूर की खेती प्रमुखता से की जाती है। भारत के मध्य प्रदेश में इसकी खेती सबसे ज्यादा की जाती है। जिसकी वजह से इसे सबसे ज्यादा मसूर उत्पादन वाले राज्य की श्रेणी में रखा गया है। इसके अलावा बिहार , उत्तर प्रदेश , हरियाणा में भी इसकी खेती काफी प्रमुखता से की जा रही है। जिसकी वजह से इसे मुनाफा देने वाला फसल कहा जाता है। किसान भाइयों इसकी खेती करते समय हमें मिट्टी की भी विशेष ध्यान देना चाहिए।

मसूर की खेती के लिए भूमि और जलवायु का चयन

मसूर की खेती के लिए नम भूमि का होना जरुरी है , दोमट मिट्टी में इसकी खेती प्रमुखता से की जाती है। किसान भाइयों को मसूर की खेती करते समय मिट्टी का ध्यान रखना चाहिए। क्षारीय व हल्की भूमि में भी इसकी खेती गलती से भी न करें नहीं तो यह पूरी फसल को खत्म कर देती है। इसके अलावा खेत में जल निकासी वाली व्यवस्था होनी जरुरी है। अगर हम इसके भूमि के P.H. मान की बात करें तो मसूर की खेती के लिए P.H. मान 6.5 के 7 के मध्य होना चाहिए। इसकी खेती ठंड के मौसम में करने से काफी फायदा होता है।

मसूर के खेत की तैयारी

मसूर की फसल उगने से पहले हमें खेत को अच्छे से तैयार कर लेना चाहिए , इसके लिए खेत की सफाई करवाना जरुरी है। खेत में अगर पुराने खरपतवार रहेंगे तो फसल को बहुत नुकसान पहुँचता है ऐसे में जरुरी है की खेती की गहरी जुताई करवाए। जुताई करवाने के बाद कुछ दिनों के लिए खेतो को खुला ही छोड़ दें , जिससे खेत में धूप अच्छे से लग जाये और हानिकारक तत्व भी खत्म हो जाए। किसान भाइयों धूप लगने के कुछ दिन बाद भी खेत को रोटावेटर लगवाकर जुताई करवाना चाहिए , इससे खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है। सबसे अंत में पाटा लगाकर खेत को समतल कर लेना चाहिए। समतल भूमि में अगर आप मसूर की खेती करते है तो काफी फायदा मिल सकता है ऐसे में जरुरी है की खेत का चुनाव सही से करें।

किसान भाइयों अगर हम अपने देश की बात करें तो यहाँ अलग – अलग तरीके से मसूर के खेत को तैयार किया जाता है। कुछ जगह पर धान की खड़ी फसल में ही हम मसूर की खेती करते है। लेकिन अच्छी पैदावार के लिए इसके खेत की जुताई बहुत मायने रखती है। किसान भाइयों जब भी आप अपने मसूर के खेत की आखिरी जुताई करें तो 15 से 20 टन गोबर जरूर डालें।

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मसूर के बीज एवं बुवाई का तरीका (Lentil Seeds Sowing Method)

मसूर की बोवाई करते समय बीज का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए अगर हमारे बीज अच्छे और प्रमणित नहीं रहेंगे तो फसल की पैदावार कम होगी। ऐसे में हमें किसी अच्छी दुकान से अपने बीज का चुनाव करना चाहिए। मसूर की बुवाई के लिए शाम का समय सबसे अच्छा माना जाता है। इन बीजों को हम खेत में दो तरह से लगा सकते है। पहला केरा पोरा या विधि से ड्रिल विधि से , जिसके तहत इसकी बुवाई कतारों के माध्यम से की जाती है। इसके द्वारा हम अच्छे से खेत की दूरी को तैयार कर लेते है। वहीं अगर आप इसकी पछेती खेती कर रहे है तो 20 से 25 CM की दूरी बनाना जरुरी है। इसके बीजों को ड्रिल के माध्यम से लगाने पर बहुत फायदा होता है।

मसूर के पौधों की सिंचाई

किसान भाइयों किसी भी फसल के ग्रोथ के लिए सिंचाई करना बहुत जरुरी है। ऐसे में अगर आप सही तरीके से सिंचाई करते है तो निश्चित रूप से आपको अच्छी पैदावार देखने को मिलेगी। लेकिन किसान भाइयों अगर आप मसूर की खेती कर रहे है तो इसके पौधे आसानी से सूखा में उगाए जा सकते है क्योंकि पौधों को सूखा सहने की शक्ति ज्यादा होती है। ऐसे में मसूर के पौधे को सिंचाई की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती। किसान अगर इसकी खेती सिंचित जगह पर कर रहे है तो 1 -2 सिंचाई करनी चाहिए। मसूर की पहली सिंचाई शाखा के निकलने के बाद 50 दिनों के भीतर कर देनी चाहिए। इसके साथ ही मसूर की दूसरी सिंचाई फलियों में दाना निकलने के दौरान करनी चाहिए। दूसरी सिंचाई के समय की बात करें तो 70 -75 दिन का समय दूसरी सिंचाई के लिए अच्छा माना जाता है।

किसान भाइयों फसल को पानी देते समय विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। कई बार हम खेत में ध्यान नहीं देते और खेत में पानी एकत्रित हो जाता है ऐसे में ऐसी जगह का चुनाव करके पहले से रखें जहां पानी ज्यादा लगता हो। इसकी सिंचाई हमेशा धारिया बनाकर करनी चाहिए। इसके पौधे को ज्यादा पानी कभी भी न दें इसके साथ ही जलनिकसी की भी व्यवस्था पहले से होनी चाहिए।

मसूर के पौधों में खरपतवार नियंत्रण

सभी फसलों की तरह ही मसूर के पौधे में खरपतवार लगते है , जिसकी सुरक्षा करना बहुत जरुरी है। अगर समय से इन फसलों की सुरक्षा नहीं की गयी तो अलग – अलग तरह के खरपतवार का प्रकोप दिखाई पड़ता है ऐसे में हमें फसलों की सुरक्षा करना बहुत जरुरी है। किसान भाइयों हमें इसके फसलों की पहली गुड़ाई 45 -60 दिनों के भीतर कर देनी चाहिए अगर फिर भी खरपतवार दिखाई पड़ रहे है तो निरंतर इसकी गुड़ाई करते रहना चाहिए।

किसान भाइयों अगर खरपतवार ज्यादा है तो इसके लिए आप GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बने कीटनाशक का प्रयोग कर सकते है। GEEKEN CHEMICALS ने इस तरह के खरपतवार को खत्म करने के लिए अलग – अलग तरह का रासायनिक कैमिकल बनाया है , जिसके माध्यम से खरपतवार को आसनाई से खत्म किया जा सकता है। जो बाजार में आपको आसानी से मिल जायेगा और कम समय में अच्छा लाभ भी पहुंचाता है। आज के समय में जीकेन Best agrochemical companies in India में से एक है।

कब करें मसूर के फसल की कटाई :-

मसूर के पौधे की कटाई बीज रोपाई के 110 से 140 दिन के बाद करनी चाहिए। इसके फसल की तुड़ाई भी फरवरी मार्च के मध्य में की जाती है। किसान भाइयों को यह देखना चाहिए की जब इसके पौधों पैट लगे फूल पीले और फलियां भूरे रंग की हो जाये उस समय हमें इसकी कटाई कर लेनी चाहिए। आज के समय में मसूर की खेती से किसान भाइयों को बहुत फायदा होता है। ऐसे में हमें इसकी खेती करते समय कुछ सावधानियों को ध्यान में रखकर अच्छी पैदावार प्राप्त किया जा सकता है।

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निष्कर्ष :-

आज के इस ब्लॉग में हमने जाना की मसूर की खेती कैसे की जाती है। आशा है कि किसान भाइयों को हमारा यह ब्लॉग अच्छा लगा होगा , इसलिए आप हमारे ब्लॉग को शेयर जरूर करें। किसान भाइयों मसूर के फसल की खेती बहुत ही लाभदायक खेती मानी जाती है, ऐसे में हमें कुछ चीजों को ध्यान में रखकर इसका बेहतर उत्पादन किया जा सकता है। किसान अगर फसल में लगने वाले रोगों , खरपतवारों , कीटों , इत्यादि को खत्म करना चाहते है तो , GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बने प्रोडक्ट का प्रयोग करके इन्हे खत्म कर सकते है। अगर आप हमारे कीटनाशक को खरीदन चाहते है तो कॉल (+91 – 9999570297) करें।