GEEKEN CHEMICALS :- मसाला पौष्टिक और औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। खानें में थोड़ा सा मसाला डालने से , खानें का स्वाद बदल जाता है। ऐसे में अगर किसान इसकी खेती करें तो अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। किसान भाइयों मसाला वाले फसलों की खेती करते समय पैनी नजर रखनी पड़ती है , जिससे जानवर और कीट , रोग फसल को नुकसान न पहुंचा सकें। मसाला की खेती कम क्षेत्रफल वाले इलाके में भी की जा सकती है और किसान अच्छा इनकम भी कर सकते हैं। आज के समय में हमारे देश में 52 से ज्यादा मसाला वर्गीय फसलों की खेती की जाती है , इनमें से ज्यादातर फसलें ऐसी है , जिन्हें हम सभी राज्यों में उगाते है। अगर आज के अत्याधुनिक युग की हम बात करें तो मसाला वर्गीय फसल की खेती करने से किसान भाइयों को अच्छा इनकम हो रहा है। ऐसे में आज हम 5 मसाला वर्गीय फसल की जानकारी यहां प्रदान करने जा रहें हैं।

आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के माध्यम से पढ़ रहें है। GEEKEN CHEMICALS खेती किसानी करने वाले किसान भाइयों को अलग – अलग तरह का रासायनिक कीटनाशक प्रदान करता है। आज के समय में भारत के 10 लाख किसान GEEKEN CHEMICALS के माध्यम से अपने खेती- बाड़ी को आगे बढ़ा रहें है। GEEKEN भारत की कीटनाशक बनाने वाली कंपनी में से एक है।

मसाला फसल की बुवाई (Spice Crop Sowing)

किसान भाइयों अगर आप मसाला वाली फसल की खेती करने जा रहें है तो आपको बता दें कि इसकी खेती ऊसर या पथरीली भूमि को छोड़कर सभी तरह की भूमि में आसानी से की जा सकती है। इसकी खेती के लिए उचित जल निकासी वाली जमीन सबसे अच्छी मानी जाती है ,वहीं किसान अगर दोमट मिट्टी में इसकी खेती करें तो पैदावार भी काफी अच्छी होती है। मसाला वालें फसलों की बुवाई अक्टूबर से लेकर नवंबर के महीने तक की जाती है। मसाला वाले फसल की खेती करते समय किसान भाइयों को यह ध्यान रखना चाहिए की खेत में नमी का होना जरुरी है साथ बीजों के बीच में दूरी रखना चाहिए। बीजों की अच्छे से बुवाई के लिए , बीज को दो भागों में रगड़कर तब बोना चाहिए।

भारत में बोई जाने वाली प्रमुख मसाला वर्गीय फसल

1.काली मिर्च (Black pepper)-

किसान भाइयों काली मीर्च को हम मसालों का राजा कहतें है , इसकी खेती किसान भाइयों के लिए मुनाफे का सौदा है , किसान इसकी खेती करके अच्छा पैसा कमा सकतें हैं। भारत में की जानें वाली काली मिर्च की खेती में अकेले केरल 98 % उत्पादन करता है। इसके बाद काली मिर्च की खेती कर्नाटक और तमिलनाडु में की जाती है। काली मिर्च महाराष्ट्र के भी कुछ हिस्सों में पाई जाती है। आज के समय में काली मिर्च की मांग हमारे बाजारों में काफी बढ़ गई है, ऐसे में किसान अगर इसकी खेती करते है तो उन्हें अच्छी इनकम हो सकती हैं। काली मिर्च की फसल पर ज्यादातर हानिकारक कीट एवं रोग नहीं पाया जाता है लेकिन जब इसके दाने हरे होने लगें तो समझ इसपर कीटनाशक का प्रयोग करना चाहिए। अगर काली मिर्च की फसल में रोग या कीट लग जाएं तो किसान GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बनें कीटनशक का प्रयोग कर सकते है।

2. लाल मिर्च (Red chilli)-

लाल मिर्च का भी प्रयोग हम मसाला के रूप में करते है। इसकी खेती भारत के अलावा और भी कई देशों में की जाती है। इसे कई राज्यों में ‘अद्भुत
मसाला’ भी कहते है। पूरे विश्व में सबसे ज्यादा मसालें का उत्पादन भारत में ही किया जाता है। लाल मिर्च के उत्पादन के लिए 10℃ से 30℃ तापमान की जरूरत पड़ती है। लाल मिर्च की खेती ज्यादातर दोमट मिट्टी में की जाती है। भारत की बात करें तो इसकी खेती ज्यादातर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, उड़ीसा तथा पश्चिम बंगाल में की जाती है। लाल मिर्च की तुड़ाई हमेशा सुबह के समय करनी चाहिए। तुड़ाई करते समय यह ध्यान रखना चाहिए की इसके फल न टूटे।

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3 . हल्दी (turmeric)-

हल्दी की खेती मुख्य रूप से भारत के उपमहाद्वीप तथा दक्षिण पूर्व एशिया में किया जाता है। हल्दी प्रमुख रूप से उष्णकटिबंधीय फसल है , जिसके उत्पादन के लिए लाल मिट्टी की जरूरत पड़ती है। इस मसालें में कई तरह के औषधीय गुण भी पाए जाते है इसलिए बाजारों में भी इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। हल्दी के जड़ों को उबालकर और सुखाकर हमारे बाजारों में बेचा जाता है। हल्दी का कई जगह प्रयोग भोजन तथा प्राकृतिक रंगों के निर्माण के लिए भी किया जाता है। भारत में इसके उत्पादन की बात करें तो इसकी खेती तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा गुजरात में की जाती है। बाजार में भी हल्दी की मांग हमेशा रहती है , इसलिए किसान इसकी खेती करके अच्छा पैसा कमा सकते है। हल्दी की फसल जमीन के नीचे होता है , इसलिए इसके देखभाल की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती। बाजार में कच्ची हल्दी की मांग कम होती है इसलिए फसलों को अच्छे से सुखाकर ही बाजार में बेचने के लिए भेजना चाहिए। हल्दी की फसल 7 -10 महीने में तैयार हो जाती है।

4. इलायची (Cardamom)-

इलायची की खेती भी भारत में प्रमुखता से की जाती है। इलायची उत्पादन की अगर हम बात करें तो विश्व में ‘ग्वाटेमाला’ के बाद भारत का दूसरा नंबर है। इसकी खेती 14℃ से 32℃ तापमान में आसानी से की जा सकती है। इलायची के लिए वर्षा की भी जरूरत पड़ती है इसलिए 150 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा वाले क्षेत्र में इसकी खेती करना सही होता है। इलायची का उपयोग हम भोजन के अलावा दवाई में भी प्रयोग करते है। आज के समय में इलायची की खेती करने पर किसान भाइयों को काफी फायदा हो रहा है , इसकी खेती उष्णकटिबंधीय वनो में की जाती है। कृषि एक्सपर्ट की मानें तो इसकी खेती के लिए छाया व समुद्री हवा की जरूरत पड़ती है , ऐसे मौसम में इसकी पैदावार भी काफी अच्छी होती है।

5 . लौंग (Cloves)-

लौंग की खेती मुख्यरूप से इंडोनेशिया में की जाती है। आज के समय में मसाला फसल के रूप में लौंग की मांग बहुत ज्यादा है। आज के समय में देखे तो लौंग की मांग इंडोनेशिया के अतिरिक्त मेडागास्कर, ज़ांज़िबार, श्रीलंका, मलेशिया तथा भारत में काफी ज्यादा है। किसान भाइयों लौंग के उत्पादन के लिए 25℃ से 35℃ तापमान की जरूरत पड़ती है। लौंग अपने औषधीय गुण के कारण भी जाना जाता है , इसमें एंटीबायोटिक के गुण भी काफी अधिक मात्रा में पाए जातें है। अगर हम भारत की बात करें तो इसकी खेती तमिलनाडु और केरल में की जाती है। किसान भाइयों आज के समय में लौंग की खेती करना काफी फायदेमंद हो सकता है। बाजार में भी लौंग की मांग हमेशा रहती है और इसकी खेती काफी सीमित जगह पर की जाती है।

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निष्कर्ष :-

आज के इस ब्लॉग में हमनें जाना की 5 मसाला वर्गीय फसल कौन- कौन से हैं । आशा है कि आपको हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा इसलिए हमारे इस ब्लॉग को शेयर जरूर करें। अगर आप खेती – बाड़ी से जुडी कोई अन्य जानकारी चाहतें है तो हमारे कमेंट बॉक्स में पूंछ सकतें है। GEEKEN CHEMICALS आपके लिए इसी तरह से कृषि से जुडी जानकारी पहुंचाता रहेगा। अगर आप GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बनें कीटनाशक को खरीदना चाहतें है तो कॉल (+91 – 9999570297) करें।