IMG-20211009-WA0003-removebg-preview-1.png

आलू का उत्पादन भारत में तीसरे नंबर पर की जाती है। यह एक तरह का कंदवर्गीय श्रेणी का फसल है। अगर हम भारत की बात करें तो केरल और तमिलनाडु के अलावा भारत के सभी राज्यों में इसकी खेती की जा सकती है। सबसे ज्यादा आलू के उत्पादन वालें राज्य की बात किया जाए तो पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में की जा सकती है। हमारे देश में आलू की खेती रबी के फसल के साथ की जाती है। आलू की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। लेकिन इसकी खेती करते समय किसान भाइयों को यह भी ध्यान रखना होगा की खेत में ज्यादा पानी न लग पाए और जल निकासी की व्यवस्था भी अच्छी हो। आलू की मांग बाजारों में हमेशा रहती है इसलिए किसान भी इसकी खेती करना पसंद करते है। अगर आप भी आलू की अच्छी पैदावर करना चाहते है तो आज का यह ब्लॉग जरूर पढ़ें और अच्छा लगें तो शेयर भी जरूर करें।

आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के द्वारा पढ़ रहें है। हम आपके लिए खेती – बाड़ी से जुडी जानकारी को पहुचानें का काम करते है। आप अपने फसलों के बेहतर उत्पादन के लिए GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बनाए हुए प्रोडक्ट का प्रयोग कर सकते है। हम भारत में सबसे अच्छी रासायनिक कीटनाशक बनाने वाली कंपनी में से एक है। आज के समय में GEEKEN CHEMICALS के प्रोडक्ट को भारत के सभी किसान प्रयोग कर रहें है।

और पढ़े –: दिसम्बर के महीने में करें इन फसलों की खेती, होगा खूब मुनाफा

Contents

आलू की खेती

आलू को सभी सब्जियों का राजा कहा जाता है। यह एक तरह का कंदवर्गीय सब्जी है। विश्व में भारत को आलू उत्पादन के क्षेत्र में तीसरा स्थान प्राप्त है। अगर हम भारत की बात करें तो आलू को बहुत ज्यादा पसंद किया जाता है क्योंकि इसे हम किसी भी सब्जी में मिलाकर बना सकते है। आलू का सेवन हमारे शरीर के लिए भी लाभदायक है लेकिन इसको ज्यादा खानें से शरीर में चर्बी बढ़ने जैसी समस्या हो सकती है। इसके अलावा आलू में कई तरह के विटामिन भी पाए जाते है , जिसमें विटामिन सी, बी, मैंगनीज, कैल्शियम, फासफोरस और आयरन आदि प्रमुख है। आलू में पानी की मात्रा भी काफी अधिक होती है।

सब्जी के अलावा हम आलू का प्रयोग और भी कई तरह की चीजों को बनाने के लिए करते है। जिसमें वड़ापाव, आलू भरी कचौड़ी, चिप्स, टिक्की और चोखा, फ्रेंच फ्राइज, समोसा, पापड़, चाट आदि चीजें शामिल है , जिसकी वजह से बाजार में आलू की मांग भी हमेशा रहती है। किसान भाइयों आलू के कंद जमीन के अंदर पाएं जातें है , जिस वजह से भूमि कार्बनिक तत्व से भरपूर होनी चाहिए। किसान आज के समय में आलू की खेती करके अच्छा पैसा कमा सकते है।

भारत में आलू की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और तापमान

किसान भाइयों आलू की खेती सबसे मुनाफे वाली खेती में गिनी जाती है। इसके लिए कार्बनिक तत्वों से भरपूर उपजाऊ मिट्टी की जरूरत पड़ती है। इसकी खेती किसान भाई उचित जलनिकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी में भी आसानी से कर सकते है। किसान भाइयों आलू की खेती के लिए सामान्य P.H. मान वाली भूमि की जरूरत पड़ती है। समशीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय जलवायु इसकी खेती के लिए सबसे अच्छे मानें जाते है।

अगर हम भारत की बात करें तो आलू की खेती ठंड के मौसम में की जाती है लेकिन ठंड के मौसम में गिरनें वाला पाला इसके पौधे को बहुत नुकसान पहुंचाता है। आलू के पौधे को ज्यादा गर्म जलवायु की भी जरूरत नहीं पड़ती है , इससे आलू की फसल ख़राब होने की सम्भावना काफी ज्यादा होती है। अगर आलू के लिए तापमान की बात करें तो सामान्य तापमान इसके फसल को और अच्छी पैदावार प्रदान कर सकते है लेकिन ज्यादा तथा कम तापमान भी फसल को हानि पहुँचातें है। आलू का पौधा अधिकतम 25 डिग्री तथा न्यूनतम 15 डिग्री तापमान सह सकता है। इससे अधिक तापमान पौधे को हानि पहुंचा सकते है।

भारत में आलू की उन्नत किस्में

आज के समय में आलू के अच्छे पैदावार के लिए अलग – अलग तरह के किस्मों को तैयार किया गया है। इन किस्मों से आप आलू की अच्छी पैदावर कर सकते है।

जे एच- 222

यह किस्म आलू के लिए काफी फेमस है , इसे हम जवाहर नाम से भी जानते है। इस तरह के किस्म संकर प्रजति में आते है , जिसे तैयार होने में लगभग 90 -100 दिन का समय लग जाता है। यह किस्म उत्पादन देने के मायनें में भी काफी अच्छी मानी जाती है। अगर आप इस किस्म से आलू की खेती करते है तो , इसमें झुलसा रोग लगनें का खतरा भी कम होता है।

लेडी रोसैट्टा

किसान भाइयों आलू के इस किस्म को ज्यादातर गुजरात और पंजाब में पैदा किया जाता है। इससे निकलनें वाले पौधे सामान्य आकर के जैसे होते है , जिन्हें तैयार होनें में 120 दिन तक का समय लग जाता है , किसान भाइयों इस तरह के किस्म का उत्पादन 67 टन के आसपास है।

कुफरी चंद्रमुखी

यह किस्म आलू के अगेती फसल के रूप में उगाई जाती है। इसके पौधे रोपाई करने के 90 दिन के बाद पैदावार देना शुरू करते है। इस किस्म से निकलनें वाला आलू हल्के भूरे रंग के होते है। कृषि एक्सपर्ट की मानें तो यह किस्म 200 से 250 क्विंटल तक पैदावर दे सकता है। इस तरह के किस्म में पछेती अंगमारी रोग का प्रकोप नहीं होता है।

कैसे करें आलू के खेत को तैयार

किसान भाइयों आलू की खेती हम भुरभुरी मिट्टी में करते है। इसकी खेती के लिए हमें सबसे पहले मिट्टी पलटनें वाले हल से गहरी जुताई करनी चाहिए , जिसके बाद कुछ दिनों के लिए खेत को हमें ऐसे ही खुला छोड़ देना चाहिए। आप चाहें तो खेत में गोबर के खाद का प्रयोग कर एक बार फिर से जुताई करवा सकते है। जिससे गोबर खेत की मिट्टी में अच्छे से मिल जाए। किसान भाई चाहें तो खेत की मिट्टी में पानी लगाकर पलेव भी कर सकते है। कुछ दिन के बाद आप एक बार फिर से रोटावेटर लगाकर खेत की जुताई फिर से कर दें और खेत को समतल भी जरूर करें।

आलू के बीजो की रोपाई सही समय और तरीका

किसान भाइयों आलू के बीज की रोपाई हम आलू के रूप में ही करते है। इसके लिए हम छोटे – छोटे आलू के कंदो को खेतों में लागतें है। इन कंदों को लगाने के लिए समतल भूमि की जरूरत पड़ती है , जिसे एक फीट की दूरी पर रखते हुए मेड़ों पर तैयार किया जाता है। किसान भाइयों को यह ध्यान रखना होगा की सभी मेड़ों की चौड़ाई एक फीट तक होना चाहिए। किसान आलू के कंदों को 20 से 25 CM की दूरी रखते हुए 5 से 7 CM की गहराई में आसानी से लगा सकते है। किसान भाइयों आलू रबी की फसल है इसलिए इसकी बुवाई ठंड के मौसम में की जाती है। अक्टूबर और नवंबर का महीना आलू की खेती के लिए सबसे अच्छा माना जाता है लेकिन इसकी पछेती बुवाई दिसंबर के प्रथम सप्ताह तक कर सकते है।

कब करें आलू के पौधों की सिंचाई

किसान भाइयों अगर आप आलू की खेती नमी वाली जमीन पर कर रहें है तो इसकी पहली सिचाई रोपाई करने के एक सप्ताह के बाद कर देना चाहिए। इसके बाद आप पौधे को बड़ा होने के लिए 10 -15 दिन के अंतराल पर पानी दे सकते है। आलू के खेत में कंद को बड़ा होने के लिए नमी रखना जरुरी है। इसलिए किसान भाइयों इसका भी विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए।

आलू की फसल में खरपतवार नियंत्रण

आज के समय में किसी भी फसल के खरपतवार को खत्म करना बहुत ही आसान हो गया है। क्योंकि हमारे बाजारों में अलग – अलग तरह के रासायनिक खरपतवार नाशी कैमिकल बिक रहें है। लेकिन हमें यह जानना जरुरी है कि कौन सा कैमिकल सबसे अच्छा है। तो किसान भाइयों अब से आपको इसके लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि GEEKEN CHEMICALS आपके साथ है , जो best agrochemical company in india में से एक है। अगर आप आलू के खरपतवार को खत्म करना चाहते है तो GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बनें खरपतवारनाशी Vincare (Paraquate Dichloride 24% SL) का प्रयोग कर सकते है।

इसके अलावा किसान भाई आलू के फसल में उगने वाले खरपतवार को निराई – गुड़ाई करके भी खत्म कर सकते है। आलू की पहली गुड़ाई रोपाई के 20 -25 दिन के बाद करनी चाहिए। किसान भाइयों आलू को 2 -3 गुड़ाई की जरूरत पड़ती है। जिससे पहली गुड़ाई के बाद 15 -20 के अंतराल पर अगली गुड़ाई कर सकते है।

आलू के पौधों में लगने वाले रोग एवं उनकी रोकथाम

किसान भाइयों सभी फसलों की तरह आलू में भी अलग – अलग तरह के रोग दिखाई पड़ते है। ऐसे में हमें इसकी खेती करते समय इन रोगों को खत्म करने के बारे में पहले से सोचकर चलना चाहिए। अगर आप आलू की खेती कर रहें है तो नीचे बताए हुए रोग आपके आलू में लग सकते है ,जिसे GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बनें कीटनाशक से आसानी से खत्म किया जा सकता है।

कटुआ कीट

किसान भाइयों आलू के फसल में यह रोग ज्यादातर कीट के रूप में ही आक्रमण करता है। इस कीट रोग का लार्वा पौधों को उनकी सतह से काटते है और धीरे – धीरे पूरी तरह से खत्म कर देते है। यह कीट ज्यादातर पौधे में रात के समय दिखाई पड़ते है। अगर आपके आलू के फसल में इस तरह के रोग का लक्षण है तो आप इसके Top Quality Agro Chemicals की मदद से ख़त्म कर सकते है। भारत में GEEKEN CHEMICALS सबसे अच्छी कीटनाशक बनाने वाली कंपनी में से एक है। जिसनें कटुआ कीट को खत्म करने के लिए बनाया है Kehar (Profenofos 50% EC) जो बहुत ही असरदार कीटनाशक है और इस तरह के रोगों को जल्द से जल्द खत्म कर देता है।

हड्डा बीटल

यह भी आलू की फसल में लगने वाले प्रमुख कीट रोग में से एक है। हड्डा बीटल आलू के पौधे पर कीट के रूप में ही आक्रमण करता है , इसकी वजह से आलू के पौधे में पत्तियां जालीदार छेद के रूप में दिखाई पड़ने लगती है। किसान भाइयों आलू का यह कीट काले, पीले और लाल रंग के होते है। जो पूरी आलू की फसल को बर्बाद कर देते है। आप इस तरह के कीट को खत्म करने के लिए GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बनें कीटनाशक Stello (Emamectin Benzoate 5% SG) का प्रयोग कर सकते है। जो इस तरह के रोगों को खत्म करने में बहुत ही सहायक है और अच्छी पैदावार भी देता है।

कब करें आलू के पौधों की खुदाई

किसान भाइयों आलू के पौधे को तैयार होने में कम से कम 80 – 90 दिन का समय लग जाता है। इसके कंद को हम खोदकर निकालते है। आज के समय में आलू के कंद की खुदाई बहुत आसान हो गयी है क्योंकि हम आलू के कंद को अब मशीन के द्वारा भी खोद सकते है। खुदाई करने के बाद आप आलू को धोकर साफ कर सकते है , जिससे आलू की मिट्टी पूरी तरह से साफ़ हो जाए। आप चाहें तो आलू के कंद को भी अलग कर सकते है , जिससे छोटे कंद या खराब होने वाले कंद अच्छी आलू में शामिल न हो सकें। आज के समय में आलू की खेती करने से बहुत फायदा हो रहा है क्योंकि आलू ही एक ऐसी फसल है जिसकी मांग हमेशा रहती है।

और पढ़े –: भारत में सेब की खेती कैसे की जाती है

निष्कर्ष

किसान भाइयों आज के इस ब्लॉग में हमनें जाना की आलू की खेती कैसे की जा सकती है। आशा है कि आपको आलू के बारे में बताई गयी जानकारी अच्छे से समझ में आगयी होगी। किसान भाइयों आप आलू के बेहतर उत्पादन के लिए GEEKEN CHEMICALS के सलाहकार से भी बात कर सकते है , जो आपको और भी अच्छे से इसके बारे में जानकारी प्रदान करेंगे। अगर आप GEEKEN CHEMICALS के प्रोडक्ट को खरीदना चाहते है तो हमें कॉल (+91 – 9999570297) कर सकते है। किसान भाइयों अगर आपको हमारा यह ब्लॉग अच्छा लगा हो तो इसे शेयर करना न भूलें।