भारत में किसान मिर्च भी बहुत अधिक मात्रा में उगाते है। लेकिन इस फसल को भी कीट अपना निशाना बनाने से नहीं चूकते है। जिसकी वजह से हमारे किसान हमेशा परेशान भी रहते है। तरह के दवाई प्रयोग करने के बाद भी यह कीट खतम नहीं होते है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनके पास सही जानकारी नहीं होती है। समय रहते हमें इन कीटों से बचाव के बारें में सोचना चाहिए जिससे उनकी फसल सुरक्षित रह सके और पैदावार को भी नुकशान न पहुचें। आज के इस पोस्ट में हम हरे मिर्च(Chilli) की फसल में लगनें वालें प्रमुख कीटों और उनसे होने वाले नुकशान साथ ही उनके उपचार के बारें में जानेंगे।

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पर्ण जीवी (थ्रिप्स)

थ्रिप्स का वैज्ञानिक नाम सिट्ररोथ्रिटस डोरसेलिस हुड़ है। इस प्रकार के कीट अक्सर मिर्च की पत्तियों को खा जातें है। इन कीटों का आक्रमण 2-3 सप्ताह में ही दिखाई पड़ता है। जिस समय मिर्च (Chilli) की फसल पर फूल लगते है उस समय इसका प्रकोप ज्यादा दिखाई पड़ता है। इन कीटों के बारें में बताया जाता है कि मिर्च की पत्तीयाँ सिकुड़ जाती है और कुछ समय बाद मुरझा जाती है। इससे मोजेको रोग फैलता है। इसकी वजह से फसल की पैदावार भी काम हो जाती है। इसके लिए आप Mustafa (Imidacloprid 17.8% SL) और Teza-70 (Imidacloprid 70% WG) का प्रयोग कर सकते है।

सफेद मक्खी

इस कीट का वैज्ञानिक नाम बेमेसिया टेबेकाई है। यह कीट जिसे समय मिर्च पर अपना आक्रमण करते है तो , यह मिर्च (Chilli) की पत्तियों को खा जाते है। जब भी आपके मिर्च पर यह कीट बैठते है तो ,शहद जैसा कोई पदार्थ छोड़ते है। जिसकी वजह से पत्तियों के ऊपर दानेदार काले रंग की फंगस जम जाती है। यह पत्ता मरोड़ रोग वाहक होता है। यह सफ़ेद और क्रीम रंग की तरह होता है , जिससे मिर्च की फसल को बहुत ज्यादा नुकशान पहुँचती है। यह सर्दियों में तो जमीन के अंदर होता है लेकिन बरसात में यह जमीन के बाहर आ जाते है और फसल को नुकशान पहुचतें है। इसके ग्रब जमीन के अंदर से मुख्य जड़ को खाते है जिसकी वजह से पौधा पीला होकर धीरे – धीरे सुख जाता है। सफ़ेद मख्खी को ख़त्म करने के लिए आप Shamshera (Thiamethoxam 12.6% + Lambda-Cyhalothrin 9.5% ZC) का प्रयोग कर सकते है।

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माहू

इस कीट का वैज्ञानिक नाम एफिस गोसीपाई ग्लोवर है। यह कीट पत्तियों और पौधों के रस को चूसते है। जिससे उस जगह सूटी मोल्ड विकसित हो जाती है। इसकी वजह से मिर्च की फसल काली पड़ जाती है। यह भी महू रोग के जैसा ही होता है। इसका आकार बहुत छोटा होता है , यह पत्तियों के सतह को चूस लेते है। मिर्च के रुपए के कुछ दिनों के बाद ही यह कीट आक्रमण करते है। महू को ख़त्म करने के लिए आप अगर GEEKEN CHEMICALS का बना हुआ Fogal Plus (Thiamethoxam 25% WG) प्रयोग करते है तो यह ज्यादा फायदेमंद होगा।

फल छेदक इल्ली

इस कीट की मुख्यतः 4 तरह की अवस्था होती है। पहली अवस्था इसकी गोलाकार में होती है , जो सफ़ेद रंग के होते है। दूसरी अवस्था इल्ली के रूप में होती है। जो फसल के लिए काफी नुकशान देह है। इनका शरीर भूरे रंग का बना होता है। तीसरी अवस्था प्यूपा है जो हलके भूरे रंग का होता है , यह शुरुवाती में ही मिर्च की पत्तियों को खा जाता है। कुछ समय बाद जब यह बड़े होते है तो गोल छेद बनकर अंदर के भाग को खतम कर देते है। इससे फसल को काफी नुकशान पहुँचता है और किसान हमेशा परेशान रहते है। इसके लिए आप YOUDHA SUPAR का प्रयोग कर सकते है।

निष्कर्ष

आज के इस ब्लॉग में हमने जाना कि किस तरह से मिर्च(Chilli) के कीड़ों को खत्म किया जा सकता है। किसान भाइयों आप हमारे इस ब्लॉग को शेयर अवश्य करें जिससे और भी किसान इस ब्लॉग को पढ़कर जानकारी हांसिल करें साथ ही साथ अपने फसल को सुरक्षित रखें। आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के माध्यम से पढ़ रहें है। GEEKEN CHEMICALS भारत के किसानों के हित को ध्यान में रखकर कीटनाशक बनता है। आप हमारे कीटनाशक का प्रयोग करके अपने फसल को सुरक्षित रख सकते है।