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GEEKEN CHEMICALS :- धनिया भारत की प्रमुख मसाला फसलों में से एक है। इसकी खेती भी भारत में बहुत बड़े पैमानें पर की जाती है जिसे हम मसाला फसल के रूप में जानते है। धनिया के पौधे से प्राप्त बीज और पौधे दोनों को उपयोग किया जाता है। धनिया की पत्ती का प्रयोग हम सब्जी में डालकर सब्जी को स्वादिष्ट बनाने के लिए करते है और धनिया की चटनी तो हर कोई खाना चाहता है। कृषि एक्सपर्ट की मानें तो इसके बीज में वाष्पशील तेल पाया जाता है, जो हमारे खानें को और भी स्वादिष्ट बनाता है। भारत के कुछ हिस्सों में धनिया के बीज का प्रयोग हम तेल, कैंडी, शराब, सूप बनाने के लिए भी करते है। धनिया के प्रयोग से साबुन और खुशबूदार चीजों को भी बनाया जाता है।

भारत में भी धनिया की खेती बहुत प्रमुखता से की जाती है , मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, आंध्रप्रदेश धनिया का उत्पादन करने वाले प्रमुख राज्य है। धनिया हमारे शरीर को भी कई बीमारी से बचाती है , इसके अंदर कैल्शियम, आयरन, फाइबर, विटामिन-ए, सी, कैरोटिन और कॉपर आदि चीजें पाई जाती है। डॉ की मानें तो अगर आप नियमित रूप से धनिया के दो बीज प्रतिदिन चबाते है तो आपको कभी भी शुगर नहीं होगा। आज के समय में धनिया की खेती काफी फायदेमंद खेती मानी जाती है। इसलिए आज हम आपको धनिया की खेती कैसे करें और इसके क्या लाभ है इसकी जानकारी प्रदान करेंगे।

आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के द्वारा पढ़ रहें है। हम आपके लिए कृषि से जुड़ी जानकारी पहुचानें का काम करते है। अगर आप बेहतर तरीके से खेती करना चाहते है तो हमर ब्लॉग को पढ़तें रहें। GEEKEN CHEMICALS अलग – अलग तरह का कीटनाशक भी बनाता है , जिसके प्रयोग से आप अपने फसलों को सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। आज के समय में GEEKEN के कीटनाशक का प्रयोग 10 लाख से भी जयादा किसान कर रहे है।

Contents

धनिया की खेती के लिए बुवाई का समय

धनिया की खेती हम रबी के फसल के रूप में करते है , धनिया के बुवाई का समय अक्टूबर से लेकर दिसंबर तक का होता है। धनिया की खेती अगर सही समय पर करें तो अच्छी पैदावार हो सकती है। अगर किसान हरे पत्ते के रूप में इसकी बिजाई करें तो काफी फायदा मिल सकता है। ठंड और पाले से बचाव के लिए धनिया की खेती नवम्बर के द्वितीय सप्ताह में करनी चाहिए।

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धनिया की खेती के लिए मिट्टी का चुनाव :-

धनिया की खेती के लिए उचित जलनिकासी वाली जमीन सबसे अच्छी मानी जाती है। किसान इसकी खेती अगर बलुई दोमट मिट्टी में करें तो काफी फायदा हो सकता है। ज्यादा पानी वाली जगह पर किसान भाइयो को काली मिट्टी का चुनाव करना चाहिए। वहीं धनिया की खेती के लिए भूमि का P.H. मान 6.5 से 7.5 के मध्य होना जरुरी है। कृषि एक्सपर्ट की मानें तो धनिया का पौधा शीतोष्ण जलवायु वाला पौधा माना जाता है , इसलिए इसकी खेती शुष्क और ठंड वाले जलवायु में की जाती है। धनिया के पौधे पर बीज आते समय ठंड का होना जरुरी है। इसकी वजह से बीज खुशबूदार और उच्च गुणवत्ता वाले होते है , लेकिन ठंड के मौसम में गिरने वाला पाला इसके पौधे को और अधिक नुकसान पहुंचाता है।

धनिया की फसल के लिए खेत की तैयारी

किसान भाइयों आपको धनिया की खेती करते समय यह ध्यान देना चाहिए की खेत में ज्यादा खरपतवार न हो। किसान अगर इसकी खेती सिंचित क्षेत्र में कर रहें है तो भूमि में पानी का होना जरुरी है , इसके बाद खेत को अच्छे से पलेव कर बुवाई करनी चाहिए। ऐसा करने से जमीन के ढेले नहीं बनेंगे और खरपतवार के बीज भी अंकुरित होने से पहले ही खत्म हो जायेंगे। किसान सबसे पहले खेती की अच्छे से जुताई करें उसके बाद खेत को ऐसे ही खुला छोड़ दें। पहली जुताई के बाद खेत में 8 -10 गाड़ी खाद को मिलाना चाहिए , इसके बाद एक बार फिर से जुताई करनी चाहिए। खेत की मिट्टी जब भुरभुरी हो जाये तो पाटा लगाकर खेत को समतल कर देना चाहिए।

धनिया की खेती के लिए उन्नत किस्में

हमारे देश में पाई जानें वाली धनिया की फसल को तीन किस्मों में बाटा गया है।

बीज वाली किस्म :-

इन किस्मों का प्रयोग हम मसाले के रूप में करते है। इसके बीज दूर से ही सुगंध का एहसास करवाते है , इस बीज से तेल की मात्रा भी अच्छी पाई जा सकती है। आज के समय में हमारे बाजारों में अलग – अलग कंपनी के द्वारा बनाए हुए बीज आसानी से मिल जातें है लेकिन इन्हे खरीदते हुए बहुत सावधानी बरतनी चाहिए।

पत्ते वाली किस्में-

इन किस्मों की खेती भी भारत में खूब की जाती है किसान इसके पत्ते को काटकर उपयोग में लाते है। इस तरह के पत्ते का प्रयोग ज्यादातर सब्जी बनाने के लिए किया जाता है। आप इस तरह के किस्म का बीज अपने नजदीकी बाजार में जाकर खरीद सकते हैं।

दोहरे उपभोग की किस्में-

इस प्रकार के बीज का प्रयोग हम दानें और पत्ते दोनों के लिए करते है। भारत में इसी तरह के बीज से ज्यादातर हिस्सों में खेती की जाती है। यह किस्में लम्बी अवधि की होती है। पत्त्तों की 2 -3 कटाई के बाद इन्हे हम ऐसे ही खुला छोड़ देते है।

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धनिया की खेती के लिए बुवाई की विधि

धनिया को बोन से पहले इसके बीज को हल्का रगड़कर दो टुकड़ों में बाट देते है। इसके बाद धनिया की बुवाई हम सीड ड्रील के द्वारा करते है। किसान भाइयों को इसकी बुवाई हमेशा कतारों में करनी चाहिए , कतार से कतार की दूरी लगभग 7 से 10 सेंटीमीटर होना जरुरी है। किसान अगर इसकी बुवाई पंक्ति में करें तो काफी फायदा मिल सकता है। किसान भाइयों को यह ध्यान देना होगा की कभी भी इसके बीज की बुवाई ज्यादा गहराई में नहीं करना चाहिए।

धनिया के फसल की कटाई, पैदावार और लाभ (Coriander Harvesting, Yield and Benefits)

धनिया के फसल की कटाई बीजों के किस्म के आधार पर की जाती है। धनिया की फसल 120 -130 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसके पौधे की कटाई हम दो तरह से कर सकते है , जिसके लिए अलग – अलग समय का निर्धारण किया गया है। अगर किसान भाइयों आपने धनिया की बुवाई पत्तियों के लिए किया है तो पत्तों के बड़ा होते ही इसकी कटाई कर लेनी चाहिए। इसके अलावा किसान भाइयों अगर आप बीजों के रूप में फल प्राप्त करना चाहते है तो इसके लिए आपको तोडा इंतजार करके कटाई करनी चाहिए।

धनिया की पत्तियां जब पीली पड़कर गिरने लगें तो इसकी कटाई कर लेनी चाहिए। कटाई करने के बाद आप इन्हे सूखा लें , जब इसके डंठल पूरी तरह से सूख जाएं तो बीजों को अलग कर लेना चाहिए। धनिया की मांग भी बाजारों में हमेशा रहती है , इसलिए इसकी खेती करना काफी फायदें का सौदा हो सकता है।

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निष्कर्ष :-

आज के इस ब्लॉग में हमनें जाना की धनिया की खेती कैसे की जाती है। आशा है कि किसान भाइयों को हमारी यह जानकारी पसंद आई होगी। इसलिए इसे और भी किसान भाइयों तक शेयर जरूर करें , जिससे वह भी बेहतर तरीके से खेती कर सकें। किसान भाइयों अगर आप फसलों में लगने वाले हानिकारक कीटों, खरपतवार , रोग इत्यादि को खत्म करना चाहतें है तो GEEKEN CHEMICALS के प्रोडक्ट का प्रयोग कर सकते है। आज के समय में GEEKEN CHEMICALS भारत की नंबर वन कंपनी में से एक है। आप हमारे YOUTUBE से जुड़कर खेती – बाड़ी के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। अगर आप GEEKEN CHEMICALS के प्रोडक्ट को खरीदना चाहते हैं तो कॉल (+91 – 9999570297) करें।