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GEEKEN CHEMICALS :- लौकी की खेती भी भारत में प्रमुखता से की जाती है। सब्जियों की खेती में कदूवर्गीय सब्जियां महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। इन्ही कदूवर्गीय सब्जी में शामिल है लौकी, जिसकी सब्जी हम सभी घर पर प्रमुखता से बनाते है और बड़े चाव से खाते है। लौकी की खेती से किसान अपनी दैनिक जरूरत को पूरा कर सकता है। लौकी को खानें से कई बीमारियां दूर भागती है। लौकी से हम अलग – अलग तरह के व्यंजन तैयार करते है जिनमें रायता, कोफ्ता, हलवा व खीर, जूस शामिल है। आज कल डॉ मोटापा और शुगर जैसी बीमारी को कम करने के लिए भी डॉ लौकी खानें की सलाह देते है। लौकी के फलों में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट खनिजलवण के अलावा प्रचुर मात्रा में विटामिन पाया जाता है , जो हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद है। लौकी खाकर आप कब्ज , खांसी , पेट का दर्द , बलगम को भी दूर कर सकते है।

लौकी की खेती की बात करें तो यह भारत के पहाड़ी राज्यों से लेकर दक्षिण के राज्यों तक की जाती है। लौकी निर्यात करने के मायने में भी भारत अग्रणी है। यह भारत में 12 महीने पाया जाता है। इसकी खेती को उत्तरीय भारत में जायद एवं खरीफ, के रूप में करते है। इसकी खेती करके किसान अच्छी आमदनी कमा सकते है। कृषि एक्सपर्ट की मानें तो लौकी की फसल के लिए गर्म मौसम सबसे अच्छा माना जाता है। इसके बीज अंकुरण के लिए 30-35 डिग्री सेल्सियस और पौधों की बढ़वार के लिए 32-38 डिग्री सेल्सियस तापमान सबसे अच्छा होता है। लौकी की खेती कभी भी अधिक वर्षा वाले क्षेत्र में नहीं करना चाहिए। अधिक वर्षा के कारण लौकी की फसल में कीट एवं लोग लगने की संभावना ज्यादा होती है। आज के इस ब्लॉग में हम जानेंगे की लौकी की खेती कैसे की जाती है और इसमें लगने वाले रोग कौन से है।

आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के माध्यम से पढ़ रहें है। हम खेती – बड़ी से जुडी जानकारी को आसानी से आप तक पहचानें का काम करते है। भारत में हम कई वर्षों से अलग – अलग तरह का कीटनाशक बनाते आ रहें है , जिसका प्रयोग करके आप अपने फसलों की सुरक्षा कर सकते है। GEEKEN CHEMICALS सबसे अच्छा Pesticides manufacturers COMPANY in INDIA में से है। आप हमारे कीटनाशक को अपने नजदीकी स्टोर से खरीद सकते है।

लौकी उगाने का सही समय

किसान लौकी की खेती को कद्दूवर्गीय सब्जी के रूप में करते है। इसकी खेती को कई तरीके से किया जाता है आज कल तो शहर में रहने वाले लोग भी अपने घर की छत पर लौकी की खेती कर रहें है। इसकी फसल को किसान साल में तीन बार ऊगा सकते है। इसकी बुवाई का समय मध्य जनवरी , खरीफ मध्य जून से प्रथम जुलाई और रबी की फसल को सितम्बर अंत और अक्टूबर के पहले सप्ताह तक कर सकते है। किसान को हमेशा लौकी की अगेती बुवाई करनी चाहिए , इससे किसान भाइयों को अच्छी आमदनी मिलती है।

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लौकी की खेती के लिए जलवायु

किसी भी फसल की खेती के लिए जलवायु बहुत मायने रखती है , अगर आप उचित जलवायु के हिसाब से खेती नहीं करेंगे तो इसमें रोग और खरपतवार उगने की संभावना ज्यादा होती है। अगर हम लौकी की बात करें तो इसके लिए गर्म और आर्द्र जलवायु सबसे अच्छी मानी जाती है। ज्यादातर हिस्से में इसकी बुवाई गर्मी और बरसात के मौसम में की जाती है। इसकी खेती ठण्ड के मौसम में करने पर पाला लगने की संभावना ज्यादा होती है , जिसका असर पैदावार पर पड़ता है। इसकी खेती करने वाले किसानों की मानें तो जायद तथा खरीफ दोनों ऋतुओं में इसकी खेती करना अच्छा होता है।

लौकी की खेती के लिए 30-35 डिग्री सेन्टीग्रेड और पौधों की वढ़वार के लिए 32-38 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान अच्छा माना गया है। अगर लौकी को बरसात के मौसम में खरपतवार या रोग से बचाना है तो इसे जाल लगा कर 5 -7 फुट ऊपर कर सकते है। इससे लौकी का फल ख़राब नहीं होता है और इनका रंग भी चमकदार होता है। अगर आप भी लौकी की खेती करने जा रहें है तो जलवायु का विशेष ध्यान दें।

लौकी की खेती के लिए भूमि का चयन व भूमि की तैयारी

किसान इसकी खेती अलग – अलग तरह की जमीन पर कर सकते है ,लेकिन दोमट तथा जीवांश युक्त मिटटी सबसे उपयुक्त होती है। लौकी की खेती के लिए जमीन का पीएच मान 6.0-7.0 होना चाहिए। कहीं – कहीं पर अम्लीय भूमि में इसकी खेती करना अच्छा माना जाता है। पथरीली या फिर ऐसी जगह पर इसकी खेती नहीं करनी चाहिए जहां पानी लगता हो। इसके खेत की तैयारी की अगर हम बात करें तो सबसे पहले लौकी के खेत की जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करना चाहिए , जिसके बाद आप हैरों या कल्टीवेयर से भी इसकी जुताई करवा सकते है। सभी जुताई के बाद इसमें पाटा जरूर लगवाएं इससे मिट्टी भुरभुरी और समतल होती है और खेत में कहीं भी पानी कम या ज्यादा नहीं लगता है।

जुताई इसलिए ज्यादा जरुरी है क्योंकि कभी – कभी पुराने अवशेष खरपतवार का रूप ले लेते है और फसल को नुकसान पहुचातें है। इसके खरपतवार को खत्म करने के लिए आप GEEKEN CHEMICALS के खरपतवारनाशी कैमिकल का प्रयोग कर सकते है। अगर कृषि एक्सपर्ट की मानें तो इसकी खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में कर सकते है। अगर संभव हो तो किसान गोबर के खाद का भी प्रयोग कर सकते है इससे खेत को ज्यादा रासायनिक खाद पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा और पैदावार भी अच्छी होगी।

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खरपतवार नियंत्रण एवं निराई – गुड़ाई –

बरसात के मौसम में यह देखा गया है कि लौकी की फसल में खरपतवार ज्यादा उग जाते है किसान खुर्पी से इसकी हल्की गुड़ाई करके खरपतवार को खत्म कर सकते है। लेकिन यह ध्यान रखना है की पौधे को किसी भी तरह का नुकसान न पहुँच पाए। लौकी की फसल में इसकी निराई – गुड़ाई किसान 20 -25 दिन के बाद कर सकते है। लौकी के अच्छी पैदावार के लिए और पौधे की वृद्धि के लिए 2 -3 बार इसकी निराई – गुड़ाई कर सकते है। किसान चाहें तो इसके बाद जड़ो के पास मिट्टी चढ़ा सकते है इससे जड़ के पास खरपतवार उगने की सम्भावना कम होती है।

अगर आप लौकी की फसल में उगने वाले खरपतवार को रासायनिक कीटनाशक के द्वारा खत्म करना चाहते है तो आप GEEKEN CHEMICALS के खरपतवारनाशी का प्रयोग कर सकते है। हम बेहतर तरीके का खरपतवारनाशी कैमिकल प्रदान करते है। लौकी की फसल में उगने वाले खरपतवार को खत्म करने के लिए आप खरपतवारनाशी का प्रयोग कर सकते है। GEEKEN CHEMICALS सबसे अच्छा Pesticides manufacturers COMPANY in INDIA में से है। आप हमारे कीटनाशक को अपने नजदीकी स्टोर से खरीद सकते है।

लौकी के बेल को सहारा देना –

बरसात के मौसम में लौकी की अच्छी पैदावार पाने के लिए किसान भाइयों को लकड़ी या लोहे द्वारा निर्मित मचान पर चढ़ा कर खेती करना चाहिए। कृषि के जानकार किसान बताते है की ऐसा करने से लौकी के फलों का आकर सीधा ,रंग अच्छा और बढ़वार काफी तेजी से होती है। आप शुरुआत में लौकी की शाखा को काटकर निकाल सकते है, इससे ऊपर विकसित होने वाले शाखाओं में फल ज्यादा अच्छे से प्राप्त होते है। ऐसा करने से किसान बिना किसी नुकसान के लौकी की अच्छी फसल ऊगा सकते है।

लौकी के कीट एवं नियंत्रण –

कद्दू का लाल कीट (रेड पम्पकिन बिटिल) –

वैसे तो लौकी की फसल में कई तरह के कीट लगते है लेकिन इनमें कद्दू का लाल कीट सबसे खतरनाक होता है। यह कीट चमकीली नारंगी रंग का होता है तथा सिर, वक्ष एवं उदर का निचला भाग काला होता है। इसकी सुंडी नीचे की तरफ पाई जाती है। कद्दू का लाल कीट सुंडी व वयस्क दोनों को नुकसान पहुँचाता है। यह ज्यादातर पौधों की जड़ों पर आक्रमण करता है। कृषि एक्सपर्ट की मानें तो यह कीट जनवरी से मार्च के महीने तक ज्यादा आक्रमण करते है।
आप इस कीट को खत्म करने के लिए GEEKEN CHEMICALS का प्रयोग कर सकते है। GEEKEN CHEMICALS ने कद्दू का लाल कीट (रेड पम्पकिन बिटिल) को ख़त्म करने के लिए एक अलग तरह का कीटनाशक बनाया है , जो इस तरह के कीटों को खत्म कर फसल की पैदावार को बढ़ाता है।

फल मक्खी –

फल मक्खी लौकी की फसल के लिए बहुत ही हानिकारक मानी जाती है। इस कीट की सुंडी सबसे ज्यादा फसल को नुकसान पहुँचाती है। फल मख्खी के सिर पर काले तथा सफ़ेद धब्बे पाए जाते है। यह मख्खी जब भी फल पर अंडा देती है , तो फल सड़ने लगता है इसकी वजह से ही पूरी फसल सड़ कर ख़राब हो जाती है। इसके लिए आप GEEKEN CHEMICALS के कीटनाशक का प्रयोग कर सकते है। GEEKEN CHEMAICALS ने इस कीट को खत्म करने के लिए एक अलग ही तरह का प्रभावी कीटनाशक बनाया है , जो बहुत ज्यादा असरदार है। आप हमें कॉल(+91 – 9999570297) करके इसे खरीद सकते है।

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निष्कर्ष :-

आज के इस ब्लॉग में हमने जाना की लौकी की खेती कैसे की जा सकती है। आशा है की किसान भाइयों को हमारी यह जानकारी अच्छे से समझ में आ गई होगी। अगर आपके फसल में किसी भी तरह के रोग , कीट, खरपतवार , का प्रकोप है तो आप GEEKEN CHEMICALS के कीटनाशक का प्रयोग कर सकते है। GEEKEN CHEMICALS कई वर्षों से कीटनाशक बनाता आरहा है। आप हमारे कीटनाशक को ऑनलाइन तरीके से भी खरीद सकते है या फिर इसे खरीदने के लिए हमें कॉल (+91 – 9999570297) भी कर सकते है।