जानिए अपने फसल से कैसे खत्म करें उकठा रोग , यहां दिया है सबसे आसान तरीका
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प्रोटीन हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है यदि इंसान को सही तरीके से प्रोटीन नहीं मिल पाता है तो उसका मानसिक और शारीरिक विकास रुक जाता है। इसके लिए हमारे पास सबसे अच्छा स्त्रोत्र है अरहर की दाल। हमारे देश के किसान इसे अरहर,तुर,रेड ग्राम, पिजन पि (Pigeon) के नाम से भी जानते है। भारत के साथ – साथ अरहर के दाल की खेती दक्षिण अफ्रीका में बहुत अच्छे तरीके से होती है। प्रोटीन की अत्यधिक मात्रा को प्राप्त करने के लिए हम अरहर के दाल का सेवन करते है। इसके दाल में 21 – 25 प्रतिशत तक प्रोटीन पाया जाता है। बाजार में किसान भी इसे बेचकर अच्छा पैसा कमा सकते है। लेकिन पिछले कुछ समय से अरहर की फसल में रोगों का प्रकोप अत्यधिक होने लगा है , जिसकी वजह से फसल की पैदावार में काफी गिरावट देखने को मिल रही है। आज हम आपको इस पोस्ट में बतायंगे कि आखिर कैसे अरहर में लगने वाले उकठा रोग की समस्या से बचा जा सकता है।
आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के द्वारा पढ़ रहें है। हम भारत के किसान भाइयों के लिए एक बेहतर तरीके का कीटनाशक प्रदान करते है। GEEKEN CHEMICALS के अनुभवी लोग लगातार किसान के हितों को ध्यान में रखकर कीटनाशक बना रहें है और इसका उत्पादन क्षमता भी बढ़ा रहन है। अगर भी हमारे कैमिकल्स को खरीदना चाहते है तो अपने नजदीकी दुकान पर जाकर खरीद सकते है।
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किसान भाइयों अरहर की खेती के लिए नम और शुष्क जलवायु की आवश्यकता पड़ती है। अगर आप अरहर की फसल से ज्यादा पैदावार करना चाहते है तो इसकी खेती नम जलवायु में ही करें। इस जलवायु के साथ खेती करने पर फूल, फली और दानो का अच्छे से विकास होता है। जिस भी क्षेत्र में बारिश ज्यादा होती है हमें इसकी खेती नहीं करनी चाहिए। 75-100 सेंटीमीटर तक बारिश होने पर आप इसकी खेती कर सकते है। वहीँ अरहर की खेती करने वाले किसानों को जिस रोग का सबसे ज्यादा सामना करना पड़ता है वह है उकठा रोग। जिसकी वजह से फसल तैयार होने में काफी समय लग जाता है और किसान दूसरी फसल भी नहीं ऊगा पाते।
अरहर की खेती में ज्यादा सिचाई की भी जरूरत नहीं पड़ती है। अगर हमारे किसान भाई अरहर की खेती कर रहें है तो आप इसकी सिचाई पौधों के फूल देने पर एक बार और जब इसमें फल दिखने लगे दूसरी बार सिचाई करना चाहिए। लेकिन किसान भाइयों आने वाला कुछ समय अरहर की फसल के लिए कष्टदायी हो सकता है भारी बारिश की वजह से उकठा रोग अत्यधिक देखा जायेगा।
कैसे फैलता है उकठा रोग
उकठा रोग सबसे ज्यादा बारिश के मौसम में फैलता है। जब भी यह रोग फैलता है तो अरहर की फसल सूखने लगती है। सामान्य तौर इसकी निचली पत्तियां पिले पड़ जलते है कुछ समय बाद पौधा पूरी तरह से सुख जाता है। वहीँ अगर देखा जाये तो अरहर की खेती हम जून में करते है और इसका पुष्पन भी इसी समय होता है जिससे उकठा रोग इन पौधों को ख़राब करने लगती है। यही कारण है कि अरहर का उत्पादन भी कम होता है। यह रोग अरहर के आलावा भी और भी कई रोगों में फैलता है। उकठा रोग की वजह से पत्तीयाँ और पौधे के संवेदनशील भाग मुरझाने लगते है , जैसे – जैसे रोग बढ़ते है पौधा भी सूखने लगता है। कुछ समय बाद यह रोग जड़ो को तने से फाड़कर देखे तो यह अंदर से कत्थई या लाल रंग के धागों जैसे कवक दिखाई देते हैं।
उकठा रोग को रोकने के तरीके
किसान भाइयों अगर हम कृषि एक्सपर्ट की मानें तो अरहर के रोपण के समय बीज उपचार किया जाना जरुरी है। खेतों में आप खरपतवार को श्रमिक या फिर फावड़े से उखाड़ें। समय – समय पर कीटनाशक का प्रयोग करें। जिस खेत में उकठा रोग का प्रकोप हो वहां पर 3-4 साल तक अरहर की बुवाई न करें। अगर आप गर्मी में खेतों की जुताई करवा रहें है तो इसकी जुताई गहरी करें। अगर आपके खेत में भी इस तरह का रोग दिखाई पड़ रहा है तो आप GEEKEN CHEMICALS के असरदार प्रोडक्ट का प्रयोग कर सकते है जिसकी जानकारी हम नीचें देंगे।
GEEKEN CHEMICALS का करें प्रयोग
अगर आपके अरहर की फसल में उकठा रोग का प्रकोप है तो आप Elentra (Mancozeb 64% + Metalaxyl 8% WP) और Kenzim (Carbendazim 50% WP) का प्रयोग कर सकते है। यह अरहर की फसल के लिए सबसे अच्छा कीटनाशक है , जो फसल में लगने वाले इस तरह के रोगों को आसानी से खत्म कर देती है। फाइटोफ्थोरा और पाइथियम एसपीपी अरहर में होने वाली बिमारियों को खत्म करता है।
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निष्कर्ष
आज हमने जाना कि फसलों में लगने वाले उकठा रोग से कैसे बचा जा सकता है। किसान भाइयों GEEKEN CHEMICALS आपकी खेती को आसान बनाने के लिए सभी तरह की जानकारी यहां उपलब्ध करवा रहा है। आप अपनी प्रतिक्रिया नीचे दिए हुए कमेंट बॉक्स में दे सकते है , जिससे हम और भी बेहतर तरीके से आपके लिए जानकारी उपलब्ध करवा सकें। इसके साथ – साथ अगर आपके खेतों में किसी भी तरह का कवक , रोग , कीट दिखाई पड़ रहा है तो उसे खत्म करने के लिए आप GEEKEN CHEMICALS असरदार कीटनाशक खरीद सकते है। आपकी हमारी यह जानकारी अच्छी लगी हो तो आप हमारे इस ब्लॉग को शेयर करना न भूले जिससे और भी किसान भाई अपने फसल को लेकर जागरूक हो सकें।
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