हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है , हमारे देश की आधे से ज्यादा आबादी कृषि पर निर्भर है। भारत के किसान अब व्यापारिक दृष्टि की को देखकर खेती कर रहें है। इसी कड़ी में रबर की खेती काफी मुनाफे वाली खेती बनकर सामनें आ रही है। आज के समय में भारत के किसान लगातार रबर की खेती करने की तरफ आगे बढ़ रहें है , अगर हम भारत की बात करें तो भारत रबर की खेती करने के मायनें में चौथे स्थान पर है। भारत के केरल राज्य में रबड़ की सबसे ज्यादा खेती की जाती है , और अन्य राज्य लगातार इसकी खेती को लेकर अपने कदम आगे बढ़ा रहें है।

रबड़ का प्रयोग गाड़ी के टायर, जूतों के तले और एड़ियाँ, बिजली के तार, खिलौने, बरसाती कपड़े, चादरें, खेल के सामान, बोतलों और बरफ के थैलों, सरजरी के सामान, टायर, इंजन की सील, गेंद, इलास्टिक आदि चीजें बनाने के लिए किया जाता है। कोरोना काल आने के बाद पीपीटी बनाने के लिए भी रबर का प्रयोग किया जाता है। इसलिए आज के समय में इसकी मांग भी काफी तेजी से बढ़ रही है , किसान भाई इसकी खेती करके अच्छा पैसा कमा सकते है। आज के इस ब्लॉग में हम बतानें वाले है की रबर की खेती कैसे की जाती है। किसान भाइयों आप इस ब्लॉग को पूरा पढियेगा और अच्छा लगे तो शेयर भी जरूर करियेगा।

आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के माध्यम से पढ़ रहें है। हम आप तक कृषि जगत से जुडी जानकारी पहुचानें का काम करते है। आप हमारे इस ब्लॉग के माध्यम से अपने फसल में लगने वाले खतरनाक कीटों , रोगों , खरपतवार के बारें में जान सकते है। GEEKEN CHEMICALS अलग – अलग तरह के कीटनाशक भी बनाता है और फसल की उत्पादन क्षमता को बढ़ाता है। आप हमारे कीटनाशक को आसानी से खरीद भी सकते है।

भारत में रबर की खेती के लिए जलवायु

किसान भाइयों रबर की खेती के लिए हमें गहरी लाल मिट्टी वालें जलवायु की जरूरत पड़ती है। रबड़ के पौधे को 200 CM तक वर्षा की जरूरत पड़ती है। रबड़ के पौधे सबसे ज्यादा उष्ण आद्र जलवायु में विकास करते है , इसकी खेती के लिए 21 से 35 डिग्री तापमान की जरूरत पड़ती है।

रबड़ का पेड़ कैसा होता है

किसान भाइयों रबर का उत्पादन बहुत ही सीमित क्षेत्रों में किया जाता है , इसलिए इसके पेड़ को लेकर अब भी बहुत से ऐसे लोग है जिन्हे जानकारी नहीं है। किसान भाइयों रबर के पेड़ को हम फ़िकस इलास्टिका भी कहतें है। यह पौधा दक्षिण पूर्वी एशिया में पाया जाता है , इसके लिए उष्णकटिबंधीय जलवायुकी जरूरत पड़ती है। रबर की पत्तियां आकार में बड़ी और अंडाकार होती है। यह एक तरह का सदाबहार पौधा है , जो 50 -100 फीट तक लम्बा हो सकता है।

भारत में रबड़ के पौधों की सिंचाई

किसान भाइयों रबर के पौधे को ज्यादा पानी की जरूरत पड़ती है , इसलिए इसके पौधे को हमेशा सींचते रहना चाहिए। यह पौधा पानी न मिलनें पर सूखनें लगता है इसलिए इस पौधे को कभी भी सूखा न छोड़ें। अगर आप रबर की अच्छे से सिचाई करेंगे तो पैदावार भी काफी अच्छी होगी।

भारत में कैसे की जाती है रबड़ के पौधे की देखभाल

रबड़ के पौधे को किसान भाइयों सही संतुलन और अच्छे पर्यावरण की जरूरत होती है , तभी इसका पौधा तेजी से विकास करता है। रबर के पौधे को नम भूमि और स्वस्थ्य पर्यावरण की जरूरत पड़ती है। इसके पौधे पर पत्तियाँ मोम के जैसे होती है , जिसका रंग आरम्भ में गुलाबी – करोल का होता है। इसका पौधा बहुत लम्बा होता है , जिसकी वजह से इसे गिरने और रोकनें के लिए लंबी लकड़ी का सहारा देना पड़ता है।

भारत में रबड़ का उत्पादन

रबड़ का पौधा पांच वर्ष में उत्पादन देना शुरू करता है , जो हमें 40 -45 साल तक पैदावार देता है। इसकी खेती करने वाले किसान भाइयों की मानें तो एक एकड़ खेत में 150 पौधे को आराम से लगाया जा सकता है। जिसमें प्रत्येक पेड़ से एक साल से 2. 50 लाख तक उत्पादन किया जा सकता है। आज के समय में बहुत सी ऐसी कंपनियां है जो , रबर को काफी बड़े मात्रा में खरीद रही है, किसान चाहें तो अपने उत्पादन के हिसाब से रबड़ की खेती कर सकते है।

निष्कर्ष

आज के इस ब्लॉग में हमनें जाना की भारत में रबड़ की खेती कैसे की जाती है। आशा है की आप सभी को हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। आप हमारे इस ब्लॉग को अपने अलग – अलग सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर शेयर कर सकते है। GEEKEN CHEMICALS सबसे अच्छी तरीके का कीटनाशक बनाकर , किसान भाइयों के फसल उत्पादन क्षमता को बढ़ा रहा है। आज के समय में GEEKEN Top Agro Chemical Companies in India में से एक है। आप हमारे कीटनाशक को आसानी से अपने नजदीकी बाजार में जाकर खरीद सकते है। हमारे कीटनाशक को खरीदनें के लिए (+91 – 9999570297) कॉल करें।