मटर में कौन – कौन से रोग लगते है , यहां जानिए मटर के रोगों को खत्म करने का तरीका
मटर की खेती हम रबी के फसल के रूप में करते है। भारत में इसकी खेती बहुत बड़े भू – भाग में किया जाता है , किसान इसका उत्पादन करके अच्छी आमदनी कर सकते हैं। इसलिए मटर के सुरक्षित उत्पादन के लिए हमेशा किसान भाइयों को देखभाल करने की जरूरत पड़ती है। किसान सही ढंग से मटर की देखभाल करें तो अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। मटर में हमेशा बुवाई के कुछ दिन बाद ही रोग ,कीट ,खरपतवार आदि चीजों का प्रकोप होता है। ऐसे में समय मटर रहते मटर को सुरक्षा प्रदान करने की जरूरत है। मटर की फसल में ज्यादातर पाउडरी मिल्ड्यू, एसकोकाईटा ब्लाईट, फ्यूजेरियम विल्ट, सफेद विगलन, डाउनी मिल्ड्यू, रस्ट, जीवाणु अंगमारी, मौजेक और अगेता भूरापन आदि तरह के रोग लगते हैं। आज के इस ब्लॉग में हम मटर में लगने वाले प्रमुख रोगों , कीटों और उसमें लगने वाले जैविक रोकथाम के बारे में विस्तार से जानेंगे।
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मटर के फसल में लगने वाले प्रमुख रोग
पाउडरी मिल्ड्यू-
मटर की फसल के लिए यह रोग बहुत खतरनाक होता है , यह रोग पूरी तरह से पौधों को खत्म कर देता है। पाउडरी मिल्ड्यू रोग के लक्षण की बात करें तो पहले पत्ते और बाद में पौधे के अन्य भागों में तने व फलियों पर सफेद चूर्ण वाले धब्बे की तरह दिखाई पड़ता है। यह धब्बे बाद में एक साथ मिल जाते है। किसान अगर दूर से मटर के पौधे को देखें तो आटे के छिड़काव जैसा दिखाई पड़ता है। रोग के कारण ग्रसित पत्तियां आकार में छोटी और सिकुड़ी हुई दिखाई पड़ती है , जिसके कारण फलियों के धब्बे भूरे रंग के हो जाते है। इस रोग की वजह से मटर की फसल पूरी तरह से नष्ट हो जाती है और पैदावार भी कम होता है। किसान अगर अपने फसल की अच्छे से उत्पादन करना चाहते है तो GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बनें कीटनाशक का प्रयोग कर सकते है। GEEKEN CHEMICALS ने इस तरह के रोगों को खत्म करने के लिए बनाया है Gee Super (Sulphur 80% WDS) जिसके प्रयोग मात्र से सभी तरह के रोग को आसानी से खत्म किया जा सकता है।
एस्कोकाईटा ब्लाईट
यह रोग मटर की खेती के लिए सबसे ज्यादा हानिकारक माना जाता है। इस रोग के कारण मटर का पौधा पूरी तरह से सूखने लगता है। यह रोग मटर और चना दोनों ही फसल को प्रभावित करता है। मटर में यह रोग उस जगह पर लगता है जहां पर उच्च आर्द्रता और कम तापमान की स्थिति होती है। इस रोग के कारण गेरूई रंग के भूरे कत्थई रंग के धब्बे पड़ जाते है और कुछ समय के बाद पौधा पूरी तरह से मुरझा के सूखने लगता है। पौधे के फफूद वाले भाग पर फलनकाय (पिकनीडिया) दिखाई पड़ता है। किसान अगर समय रहते अपने फसलों को इन रोगों से न बचाए तो फसल पूरी तरह से खत्म हो जाती है। ऐसे में किसान अपने फसलों को बचानें के लिए GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बनें कीटनाशक Ribban (Captan 70% + Hexaconazole 5% WP) का प्रयोग कर सकते हैं। हमारी कंपनी आज Top agrochemical companies in India में से है।
सफेद विगलन
किसान भाइयों मटर के पौधे में यह रोग पौधे के ऊपरी भाग में लगता है। सफेद विगलन रोग सूखे बदरंग धब्बे के रूप में दिखाई पड़ता है। मटर के पौधे में यह रोग ज्यादातर पौधे के तने पर दिखाई पड़ता है। इसके कारण पौधे की तने सड़ने लगते है और विभन्न नाप और आकार वाली टिक्कियां बन जाती है। यह रोग भी मटर के पौधे के लिए बहुत हानिकारक है , इससे पैदावार प्रभावित होती ही है साथ ही मिट्टी को भी नुकसान पहुंचा है। इस रोग से बचाव के लिए किसान अपने नजदीकी दूकान पर जाकर GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बनें कीटनाशक का प्रयोग कर सकते है। GEEKEN CHEMICALS ने इस तरह के रोगो के खात्मा के लिए बनाया है Ribban (Captan 70% + Hexaconazole 5% WP) जिसके प्रयोग करने के बाद कुछ दिनों के भीतर ही रोग खत्म हो जाते है।
डाऊनी मिल्ड्यू
मटर के पौधे में जब भी यह रोग लगता है पूरी की पूरी फसल तबाह हो जाती है। इस रोग के लगने पर मटर के पत्ते पीले से भूरे रंग के धब्बे के रूप में बदल जाते हैं। जमीन में नमी होने पर पत्ते में निचली सतह पर बैगनी रंग की मृदुलरोमिल आसिता वृद्धि दिखाई पड़ती है। मटर की फलियों पर भी पीले से भूरे रंग के अंडाकार धब्बे दिखाई पड़ते है। मटर के फलियों में पनप रहे धब्बे कुछ समय के बाद भूरे रंग के दिखाई पड़ते है। मटर के फसल जब बड़ी होने लगे तो किसान समय – समय पर इसपर रासायनिक कैमिकल का छिड़काव करे रहें। इस तरह के रोगों को खत्म करने के लिए किसान GEEKEN CHEMICALS के द्वारा निर्मित Bonanza (Thiophanate Methyl 70% WP) का प्रयोग कर सकते है। यह दवाई रोगों को खत्म करने के लिए काफी असरदार है।
किट्ट (रस्ट)
रस्ट रोग भी मटर के पौधे के लिए बहुत हानिकारक है , यह भी पूरी तरह से मटर के फसल को खत्म कर देता है। मटर के फसल में इसके लक्षण ज्यादातर तनों और कभी-कभी फलियों पर पीले, गोल या लंबे धब्बे समूह के रूप में दिखाई पड़ते है। इसके बाद यह धीरे – धीरे पौधे को पूरी तरह से खत्म कर देते है। यह रोग हल्के भूरे रंग के होते है , बाद में यह रोग काले रंग के दिखने लगते है जिसे हम टिलियम अवस्था कहते हैं। इस रोग का प्रकोप 17 से 22 डिग्री तापमान पर ज्यादा होता है। किसान अगर समय रहते अपनी फसल को इस तरह के रोगों से छुटकारा नहीं पाते है तो फसल पूरी तरह से खत्म हो जाती है और पैदावार भी कम होती है, ऐसे में पौधे की देखभाल करना बहुत जरुरी है। किसान इस तरह के रोगों को खत्म करने के लिए GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बनें कीटनाशक Bonanza (Thiophanate Methyl 70% WP) का प्रयोग कर सकते है।
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निष्कर्ष
किसान भाइयों आज के इस ब्लॉग में हमनें जाना की मटर के फसल में कौन – कौन से रोग लग सकते है और इनका उपचार क्या है। आशा है कि आप सभी को हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा , इसलिए ब्लॉग को शेयर करना न भूलें , जिससे और भी किसान इसके बारे में जा सके। किसान भाइयों GEEKEN सबसे अच्छे तरीके का कीटनशक भी बनाता है। किसान हमारे कीटनाशक का प्रयोग करके अपने फसल में लगने वाले रोगो , कीटों , खरपतवार इत्यादि को खत्म कर सकते हैं। अगर आप हमारे कीटनाशक को खरीदना चाहतें है तो कॉल (+91 – 9999570297) करें।
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