कसूरी मेथी की खेती कैसे की जाती है यहां जानिए उपयुक्त जलवायु एवं मिट्टी की जानकारी

Published Date: January 14, 2023

किसान भाइयों को  लाभान्वित करने के लिए सरकार तरह – तरह की योजनाएं चला रही है। ऐसे में किसान भी लगातार नई – नई तरह की खेती कर रहे है।  किसान परंपरागत खेती को छोड़कर नगदी फसल की तरफ भी आगे बढ़ रहे है। नगदी फसल में किसान औषधीय फसलों की तरफ ज्यादा ध्यान दे रहे है।  औषधीय फसलों की मांग भी नगदी फसलों से ज्यादा रहती है।  विदेशों में भी इन फसलों की मांग ज्यादा रहती है , इसी कड़ी में मसाले वाली फसल में कसूरी मेथी की मांग भी लगातार बढ़ती ही जा रही है।  कसूरी मेथी मुनाफेवाली और कैश फसल के रूप में जानी जाती है।  ऐसी फसल के अच्छे उत्पादन के लिए फसल देखभाल करना भी बहुत जरुरी है। आइये आज के इस ब्लॉग में जानते है कि मसूरी की खेती कैसे करते है।  किसान भाइयों अगर आप मसूरी की खेती करने जा रहे है तो ब्लॉग को पूरा पढ़िएगा और शेयर भी जरूर करिएगा।

आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के द्वारा पढ़ रहे है।  हम आपके फसल की ग्रोथ के लिए लगातार अलग – अलग तरह के प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर्स कैमिकल बनाते है।  जिससे आपके फसल का उत्पादन अच्छे तरीके से हो सके।  आज के समय में GEEKEN CHEMICALS BEST AGRO CHEMICALS IN INDIA में से एक है।  अगर आप भी अपने फसल का उत्पादन अच्छे तरीके से करना चाहते है तो हमारे द्वारा बने प्रोडक्ट को अपने नजदीकी बाजार से जाकर खरीद सकते है।  हमारे पास आज के समय में 50 से भी ज्यादा ऐसे प्रोडक्ट है , जो आपके फसलों के उतप्दान में अहम भूमिका निभा सकते है।

 भारत में कसूरी मेथी की खेती

भारत में कसूरी मेथी की खेती काफी बड़े – भू भाग में की जाती है।  हमारे बाजारों में कसूरी मेथी की मांग हमेशा रहती है ,  ऐसे में किसान इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते है। आज के समय में कसूरी मेथी की मांग भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खूब है। अब किसान इसकी खेती करके विदेशों तक कसूरी मेथी को पहुंचा सकते है।  किसान भाइयों कसूरी मेथी की खेती करते समेत हमें उसमें लगने वाले रोगों के बारे में पहले से पता होना चाहिए क्योंकि इसकी फसल को सबसे ज्यादा नुकसान रोगो से होता है ऐसे में इसकी खेती करते समय कई बातों का ध्यान रखना पड़ेगा।

 कसूरी मेथी की खेती कैसे करें?

मेथी एक पत्तेदार औषधीय है।  इसके सूखे पत्ते को हम कसूरी मेथी के नाम से जानते है।  इसकी गिनती भी मसालेदार फसलों के रूप में की जाती है।  इसका प्रयोग हम सब्जी आचार और लड्डू बनाने के लिए करते है।  कसूरी मेथी के स्वाद में काफी अंतर होता है ऐसे में इसके स्वाद में कड़वापन होता है। इसके सेवन से पैरों के जोड़ो में होने वाला दर्द आसानी से ठीक हो सकता है।  डॉ की मानें तो उच्च रक्तचाप (हाई वीपी), डायबिटीज व अपच में भी कसूरी मेथी का प्रयोग आसानी से किया जा सकता है। किसान भाइयों हरी मेथी शरीर में होने वाले ब्लड शुगर को भी आसानी से खत्म कर सकती है।  अगर किसान सही तरीके से इसकी खेती करे तो अच्छा मुनाफा कमा सकते है।

 कसूरी मेथी की खेती की बुवाई का समय

कसूरी मेथी की खेती आज के समय में भारत के किसान प्रमुखता से कर रहे है।  इसकी खेती उत्तर भारत सहित पंजाब , राजस्थान , दिल्ली , उत्तर प्रदेश आदि जगहों पर प्रमुखता से की जाती है।  इसकी खेती सबसे ज्यादा राजस्थान और गुजरात में की जाती है।  अगर हम राजस्थान की बात करें तो 80 फीसदी मेथी की खेती अकेले राजस्थान में ही की जाती है।  इसकी खेती रबी के मौसम में की जाती है लेकिन दक्षिण भारत में इसकी खेती बारिश के मौसम में करना फायदेमंद होता है। इसकी बुवाई कुछ जगह पर सितंबर से लेकर मार्च महीने तक साथ ही पहाड़ी के इलाके में जुलाई से लेकर अगस्त के महीने तक की जाती है।  यदि आप इसकी बुवाई हरी पत्तियों के लिए कर रहे है तो 10 -12 दिन के अंतराल पर करना चाहिए वहीं दानों के लिए किसान इसकी बुवाई नवबर के महीने में कर सकते है।

 कसूरी मेथी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु एवं मिट्टी

किसान भाइयों कसूरी मेथी की खेती ठंडी वाली जलवायु में करना सही होता है।  कसूरी मेथी की फसल पाला को आसानी से सहन कर सकती है। इसकी खेती के लिए चिकनी मिट्टी सबसे अच्छी होती है।  इसकी खेती कभी भी जलभराव वाली जगह पर नहीं करना चाहिए। किसान भाइयों को यह भी ध्यान देना चाहिए की ज्यादा बारिश वाली जगह पर इसकी खेती न  करें।  इसकी खेती करने के लिए भूमि का पीएचमान 6.5 से 7 के बीच रहना जरुरी है।

 कसूरी मेथी फसल की देख भाल कैसे करें ?

कसूरी मेथी की खेती करते समय इसके पौधे की देखभाल करने की जरूरत होती है।  इसके फसल को रोगों से बचाना चाहिए , अगर आप रोग से फसल को  बचा लेते है तो निश्चित तौर पर इसकी अच्छी पैदावार देखने को मिलेगी। कसूरी मेथी करते समय फसल चक्र को अपनाना जरुरी है।  जिससे इसमें उगने वाले खरपतवार और कीड़ें आसानी से खत्म हो जाए।

 कसूरी मेथी में लगने वाले रोग  

 तुलासिता रोग 

यह रोग कसूरी मेथी में फरवरी और मार्च के रूप में लगता है। कसूरी मेथी के लिए यह रोग बहुत ही खतरनाक होता है।  इस रोग के कारण पूरी  फसल खत्म हो जाती है।  ऐसे में इस रोग से बचाने के लिए GEEKEN CHEMICALS ने खास तरह का रासायनिक कैमिकल बनाया है।  जिसका प्रयोग करने से रोग बहुत ही कम दिनों में खत्म हो जाता है।

जड़ विगलन रोग : इस रोग को हम राइजोक्टिनिया रूट रोट के नाम से भी जानते है।  इस रोग के प्रमुख लक्षण यह है कि पत्तियां पीली होकर सूख जाती है।  जिसकी वजह से कसूरी मेथी की पैदावार कम हो जाती है।  इसके रोकथाम के लिए गर्मी के मौसम में जुताई करनी चाहिए।  किसान भाइयों को इस रोग को खत्म करने ले लिए GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बने प्रोडक्ट का प्रयोग करना चाहिए।  आज के समय में GEEKEN दस लाख से भी ज्यादा किसानों  सुविधा प्रदान कर रहा है।  इसके लिए किसान फसल चक्र भी अपना सकते है।

 फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिये निराई-गुड़ाई

कसूरी मेथी की फसल के लिए निराई – गुड़ाई करना जरुरी है।  इसकी निराई – गुड़ाई 20 से 25 दिन के बाद करनी चाहिए।  इसके खरपतवार को खत्म करने के लिए आप हाथ से भी इन्हे निकलकर खत्म कर सकते है।  अगर खरपतवार ज्यादा है तो GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बने खरपतवार नाशी का प्रयोग करना चाहिए।  GEEKEN CHEMICALS BEST PESTICIDE COMPANY में से एक है।

 कूसरी मेथी की खेती से पैदावार और लाभ

कसूरी मेथी की कटाई अगर एक बार कर लिया जाये तो पैदावार अच्छी होती है।  इसके फसल की कटाई पूरी तरह से किस्म पर निर्भर होती है। अक्टूबर में बाई जाने वाली पत्तियों की 5 और नवम्बर में बोई जाने वाली पत्तियों की 4 कटाई करनी चाहिए। इसके पत्तियों की पहली कटाई 30 दिनों के भीतर कर लेना चाहिए।  इसके बाद किसान भाइयों को 15 -15 दिन के अंतराल पर इसकी कटाई  करते रहना चाहिए।  आज के समय में कसूरी मेथी की मांग भी खूब है ऐसे में इसकी खेती करने से बहुत फायदा होता है इसलिए कसूरी मेथी की खेती करके किसान अच्छी आमदनी कर सकते है।

 GEEKEN CHEMICALS के अन्य प्रोडक्ट 

किसान भाइयों अगर हम GEEKEN CHEMICALS की बात करें तो आज के समय में 50 से भी ज्यादा रासायनिक कैमिकल बनाने वाली कंपनी बन गयी है।  ऐसे में अगर किसान अन्य फसल की खेती कर रहे है तो फसल के बेहतर पैदावार के लिए हमारे प्रोडक्ट का चुनाव कर सकते है।  किसान भाइयों को बता दें कि अगर वह  गेहूँ, मक्का, ज्वार, गन्ना, आलू आदि में चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों से छुटकारा पाना चाहते है तो Bhasam (2,4-D Amine Salt 58% SL) का प्रयोग कर सकते है।

 क्या है Bhasam (2,4-D Amine Salt 58% SL) क्या है

भस्म फेनोक्सी-कार्बोक्जिलिक एसिड है जो  शाकनाशी को खत्म करने में कामगार है।  इसके सूत्रीकरण से  खेत में उगने वाले खरपतवार आसानी से खत्म हो जाते है।  इसका प्रयोग ऐसी फसल में कर सकते है जहां चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार उगते है।  वहां इस दवाई को 0.500 लीटर प्रति हेक्टेयर 25-30 दिन की फसल में प्रयोग किया जाता है।  किसान को इस दवाई का प्रयोग 500 लीटर पानी में मिलाकर करना चाहिए।

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 निष्कर्ष 

आज के इस ब्लॉग में हमने जाना की कसूरी मेथी की खेती कैसे करते है , आशा है कि किसान भाइयों को हमारी यह जानकारी पसंद आई होगी।  इसलिए ब्लॉग को शेयर जरूर करें।  किसान भाइयों आप अपने फसल के बेहतर उत्पादन के लिए BEST AGRO CHEMICALS IN INDIA के द्वारा निर्मित रासायनिक कीटनशक का प्रयोग कर सकते है।  GEEKEN CHEMICALS आज के समय में सबसे अच्छे तरीके का कीटनाशक बनाने वाली कंपनी है।  जिसके प्रयोग करके आप अपने फसलों का उत्पादन बढ़ा सकते है।  अगर आप हमारे कीटनाशक को खरीदना चाहते है तो कॉल (+91 – 9999570297) करें।

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