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किसान भाइयों दलहनी फसलों में मूंग का अपना एक विशिष्ठ स्थान है। इसके फसलों को हम खरीफ , रबि एवं जायद तीनों मौसम में आसानी से उगा सकते है। किसान भाइयों सबसे ज्यादा प्रोटीन मूंग में पाया जाता है। मूंग हमारे लिए सबसे ज्यादा स्वस्थ्यवर्धक होने के साथ फायदेमंद भी है। किसान भाइयों मूंग की फसल से फलियों की तुड़ाई के बाद हम फसल को जमीन के अंदर दबा देते है , जिससे यह हरी खाद की तरह काम करता है। इसकी खेती करने से किसान मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ा सकते है। अगर किसान भाई अच्छे से इसकी खेती करें तो काफी फायदा हो सकता है। इसलिए आज के इस ब्लॉग में हम आपको बतानें वाले है की मूंग की खेती कैसे की जा सकती है।

किसान भाइयों आज के समय में मूँग की खेती करते समय आपको बहुत सी चीजों का ध्यान रखना पड़ता है। ऐसे में आप GEEKEN CHEMICALS के ब्लॉग को पढ़कर आसानी से अपनी खेती कर सकते है। किसान भाइयों में अगर आप खेती करके अच्छा पैसा कमाना चाहते है तो हमारे ब्लॉग को नियमित रूप से पढ़ते रहें। इसके अलावा अगर आपके फसल में किसी भी तरह के रोग , खरपतवार का आक्रमण है तो आप GEEKEN CHEMICALS के द्वारा निर्मित कीटनाशक का प्रयोग कर सकते है। जीकेन

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मूंग में पाए जाने वाले पोषक तत्व

मुंग में किसान भाइयों पोषक तत्व बहुत ज्यादा मात्रा में पाई जाती है , जिससे हमारा शरीर हमेशा स्वस्थ्य रहता है। किसान भाइयों इसके अलावा मूंग के दाल में मैग्नीज, पोटैशियम, मैग्नीशियम, फॉलेट, कॉपर, जिंक और विटामिन्स जैसे पोषक तत्व भी पाए जाते है। यह दाल डेंगू जैसी बीमारी को भी आसानी से खत्म कर सकता है। दोस्तों अगर हम मूंग की खेती की बात करें तो इसका सबसे ज्यादा उत्पादन भारत के अलावा रूस, मध्य अमेरिका, इटली, फ्रांस और उत्तर अमेरिका और बेल्जियम आदि जगहों पर की जाती है। वहीँ अगर हम भारत की बात करें तो मूंग का सबसे ज्यादा उत्पादन उत्तर प्रदेश, बिहार, केरल, कर्नाटक के अलावा उतरी पूर्वी भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में की जाती है।

भारत में मूंग की फसल के लिए उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और तापमान

किसान भाइयों इसकी खेती हम सभी तरह के मौसम में आसानी से कर सकते है। खरीफ और रबी दोनों ही मौसम मूंग के लिए अच्छे मानें जाते है। मूंग की फसल को किसी खास जलवायु की जरूरत नहीं पड़ती है। अगर सामान्य तापमान में इसकी खेती करें तो पैदावार काफी अच्छी हो सकती है। वहीँ इसके पौधे 40 डिग्री तापमान ही सहन कर सकते है।

दोस्तों अगर मूंग की खेती के लिए मिट्टी की बात करें तो मूंग की फसल को किसी भी मिट्टी में आसानी से उगाया जा सकता है। इसके लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। इसकी खेती करते समय यह ध्यान रखना चाहिए खेत में ज्यादा जलभराव न हो , जिससे पौधे को नुकसान न पहुँच सकें। मूंग की खेती के लिए भूमि का P.H. मान 6 से 7.5 के मध्य होना चाहिए। किसान भाइयों अगर आप मिट्टी, जलवायु और तापमान का चुनाव सही तरीके से करेंगे तो पैदावार भी अच्छी होगी।

भारत में उगाई जानें वाली मूंग की उन्नत किस्में

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किसान भाइयों मूंग की खेती सिंचित और असिंचित दोनों जगहों पर आसानी से की जाती है। आर. एम. जी. – 62 के फलियों को पकनें में 60 से 70 दिन का समय लगता है। इस तरह के फसल में फल छेदक रोग नहीं लगता है। जिसमें प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 10 -15 क्विंटल तक पैदावार आसानी से की जा सकती है। इसलिए किसान आज के समय में इस तरह के बीज का प्रयोग ज्यादा कर रहें है।

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इस किस्म के पौधे केवल खरीफ और जायद के मौसम में उगाए जातें है। इसकी खेती भारत में सिंचित जगह पर की जाती है। अगर हम इसके पौधे को तैयार होने की बात करें तो 65 – 70 दिनों में तैयार हो जाती है। किसान भाइयों इसमें प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 9 क्विंटल की पैदावार आसानी से की जा सकती है।

पूसा विशाल किस्म

किसान भाइयों मूंग के इस किस्म की खेती हम ज्यादातर गर्मी के मौसम में करते है। इस तरह के बीजों का रंग गहरा हरा और चमकदार होता है। इस तरह की फलियों को पककर तैयार होने में 60 -70 दिन का समय लग जाता है। इस तरह के किस्म में रोग लगनें की संभावना भी बहुत कम होती है। ऐसे में किसान इस तरह के किस्म की खेती करके अच्छी पैदावार कर सकते है।

कैसी होनी चाहिए मूंग की फसल के लिए खेत की तैयारी

किसान भाइयों मूंग की फसल के लिए हमें ज्यादातर भुरभुरी मिट्टी की जरूरत पड़ती है। इसलिए इसकी खेती करने से पहले हमें खेत को अच्छे से तैयार कर लेना चाहिए। किसान भाई चाहें तो इसके लिए सबसे पहले गहरी जुताई कर सकते है , इसके बाद गोबर के खाद को डालकर 3 -4 तिरछी जुताई कर दें। जब भी जुताई करें तो पानी लगाकर खेत को पलेव जरूर कर दें। इसके बाद आपको कुछ समय के लिए खेत को ऐसे ही छोड़ दें , जब खेत की मिट्टी सूख जाए तो रोटावेटर लगाकर दो से तीन जुताई कर देनी चाहिए। इससे खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है और जब भी हम किसी फसल की बुवाई करते है तो पैदावार भी काफी अच्छी होती है।

किसान भाइयों मूंग के पौधे को ज्यादा उर्वरक की जरूरत नहीं पड़ती है। ऐसा इसलिए क्योंकि मूंग के पौधे खुद भूमि में नाइट्रोजन की पूर्ति करते है। किसान भाइयों मूंग के पौधे को शुरुआत में उर्वरक की जरूरत होती है। मूंग में जरूरत के हिसाब से ही उर्वरक की मात्रा देनी चाहिए , जिससे इसकी पैदावार अच्छी हो सके। मूंग के बुवाई के समय आप खेत में 10 – 15 गाड़ी गोबर के खाद का प्रयोग कर सकते है। इसके बाद जब खेत में पलेव किया जाता है उसमें रासायनिक खाद मिला दें।

भारत में मूंग के बीजो की रोपाई का सही समय और तरीका

किसान भाइयों मूंग को हम बीज के रूप में रोपते है। इसके बीज की रोपाई भी अलग – अलग समय पर की जाती है। अगर हम खरीफ के मौसम की बात करें तो इसके बुवाई जून और जुलाई में की जाती है वहीँ जायद के मौसम में मूंग की बुवाई मार्च और अप्रैल माह के मध्य करनी चाहिए। मूंग को अगर आप एक हेक्टेयर खेत में बो रहें है तो इसके लिए 10 -12 किलों बीज की जरूरत पड़ेगी। इसके बीजों की बुवाई हम पंक्तियों में करते है। किसान भाइयों मूंग की बुवाई के लिए हम पंक्तियों को तैयार करते है जिसके बाद बीज की रोपाई करते है।

कब करनी चाहिए मूंग के पौधों की सिंचाई

किसान भाइयों मूंग के पौधे को हम बीज के रूप में रोपते है , जिसके लिए हमें 4 -5 सिंचाई की जरूरत पड़ती है। किसान भाइयों मूंग की पहली सिचाई बीज रोपाई के 20 -25 दिन के बाद कर देना चाहिए। इसके बाद आप आवश्यकता के अनुसार हर 10 दिन के अंतराल पर इसकी सिचाई करते रहना चाहिए। इसके बाद आप चाहें तो बाकी सिचाई भी आवश्यकता के अनुसार कर सकते है। अगर आप जायद के मौसम में मूंग की खेती कर रहें है तो , जरूरत पड़ने पर ही इसकी फसल को पानी देना चाहिए क्योंकि यह समय बारिश का माना जाता है और पौधे को पानी की जरूरत भी कम होती है।

मूंग के पौधों में खरपतवार नियंत्रण

किसान भाइयों आप मूंग के पौधे में लगनें वाले खरपतवार को आसानी से खत्म कर सकते है। इसके पौधे में अगर खरपतवार ज्यादा दिखाई पड़ें तो आप निराई – गुड़ाई करके खत्म कर सकते है। अगर फिर भी इसके खरपतवार खत्म नहीं हो रहें है तो इसके लिए आपको GEEKEN CHEMICALS के द्वारा निर्मित कीटनाशक का प्रयोग करना चाहिए। GEEKEN CHEMICALS Best Agrochemical Companies in india में से एक है। जो खरपतवार को खत्म करने के लिए रिसर्च करके कैमिकल को बनाती है और किसान भाइयों के फसल की उत्पादन क्षमता को बढाती है। अगर आपके मूंग की फसल में खरपतवार ज्यादा दिखाई पड़ रहें है तो आप GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बनें कीटनाशक G-Pendi(Pendimethalin 30% EC) का प्रयोग कर सकते है।

मूंग के पौधों में लगने वाले रोग एवं उनकी रोकथाम

दीमक का रोग

किसान भाइयों इस किस्म के रोग ज्यादातर दलहनी फसलों में लगते है। मूंग की फसल में यह रोग कभी भी लग सकते है लेकिन पौधे के अनुकरण के समय ज्यादा नुकसान पहुचातें है। इस रोग से बचाव के लिए आपको GEEKEN CHEMICALS के द्वारा निर्मित कीटनाशक का प्रयोग करना चाहिए , जो सबसे अच्छी पैदावार प्रदान करता है साथ ही इस तरह के रोगों को भी आसानी से खत्म करता है। अगर आप इस तरह के रोगों को खत्म करना चाहते है तो Ribban Plus (Captan 50% WP)का प्रयोग करें , जो सबसे ज्यादा असरदार है।

कातरा रोग

यह रोग भी मूंग की फसल में अक्सर देखनें को मिलता है। इस रोग का कीड़ा ज्यादातर पौधे की गर्म भाग को खाता है। अगर इस कीट की पहचान किया जाए तो ऊपरी सतह पर रोये नुमा बाल दिखाई पड़ते है। यह रोग भी मूंग की फसल को पूरी तरह से नष्ट कर देता है। अगर आप इस तरह के रोग को खत्म करना चाहते है तो GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बनें सबसे असरदार कीटनाशक Hanak (Quinalphos 25% EC) का छिड़काव करें। जो पौधे की जड़ों तक जाकर इस तरह के कीटों को आसानी से खत्म करता है।

फली छेदक कीट रोग

यह रोग मूंग के पौधे में तब लगता है जब फली दिखाई पड़नें लगती है। फली छेदक कीट रोग मूंग के फल के अंदर तक जाकर इसे नुकसान पहुंचाता है। यह रोग मूंग की फसल को बहुत नुकसान पहुचातें है , जिससे इसकी पैदावार भी बहुत कम होती है। ऐसे में किसान भाइयों को रोग खत्म करने के उपाय के बारे में सोचना चाहिए। किसान भाई इस तरह के रोग को खत्म करने के लिए Stello (Emamectin Benzoate 5% SG) और Kaancha (Profenofos 40% + Cypermethrin 4% EC) का प्रयोग कर सकते है।

कब करें मूंग के पौधों की कटाई और लाभ

किसान भाइयों इसके पौधे की कटाई 60 -70 दिनों के बाद आसानी से कर सकते है। इसके पौधे में लगनें वाली फली जब काले रंग की दिखाई पड़नें लगे तो आप इसकी कटाई कर लें। इसके कटाई के बाद धूप में अच्छे से सूखा लें। इसके बाद सूखी हुई फलियों को मशीन की सहायता से आसानी से निकाल सकते है। आज के समय में किसान भाइयों मूंग की मांग बहुत ज्यादा है , जिससे इसकी खेती करके अच्छा पैसा कमाया जा सकता है। मूंग की फसल बहुत कम समय और कम लागत में तैयार हो जाती है , जिससे किसान इसकी खेती साल में दो से तीन बार भी कर सकते है।

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निष्कर्ष

दोस्तों आज के इस ब्लॉग में हमनें जाना की मूंग की खेती कैसे की जाती है और इसमें लगने वाले प्रमुख रोग कौन – कौन से है। आशा है कि आपको हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। आप हमारे इस ब्लॉग को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और कृषि जगत से जुड़ी जानकारी के लिए इसे पढ़ते रहें। किसान भाइयों अगर आपके फसल में किसी भी तरह के रोग , खरपतवार , कवक आदि का प्रकोप है तो अपने नजदीकी दुकान पर जाकर GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बनें कीटनाशक को जरूर खरीदें। अगर आप इसे ऑनलाइन तरीके से खरीदना चाहते है तो हमें कॉल (+91 – 9999570297) करें।