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टमाटर सबसे लोग प्रिय सब्जी में से एक है इसके बिना सब्जी का स्वाद अधूरा – अधूरा सा लगता है।  इसका उपयोग सब्जी में जायका बढ़ानें के लिए खूब किया जाता है।  आज के समय में लोग अलग – अलग तरीके का टमाटर की चटनी को पसंद करते है।  इसमें विटामिन ए, विटामिन सी, फाइबर, आयरन और कैल्शियम जैसे कई तरीके के पोषक तत्व पाए जाते है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होते है।  इसकी खेती केवल जायका बढ़ाने ही नहीं बल्कि अच्छी आमदनी के लिए भी किया जाता है।  किसान इसकी खेती करके अच्छा पैसा कमाते है। लेकिन कुछ समय से यह देखा जा रहा है कि टमाटर में कई तरह के रोगों का आक्रमण हो रहा है , जो फसलों को पूरी तरह से नष्ट कर दें रहें है।  इसके लिए जरुरी है कि किसान समय से इसमें कीटनाशक का प्रयोग करें और अपने फसल की उत्पादन क्षमता को बढ़ाएं।  आज हम आपको इस ब्लॉग में टमाटर की फसल में लगने वाले प्रमुख रोगों के बारें में साथ ही उनके उपचार के बारें में बताएंगे।  तो आइये जानते है कि कैसे टमाटर की फसल से रोगों को खत्म कर सकते है।

आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के माध्यम से पढ़ रहें है।  GEEKEN CHEMICALS फसलों में लगने वाले कीड़ों , खरपतवार , फफूदी को खत्म करने के लिए विभिन्न तरीके का कीटनाशक बनता है।  आप इसके कीटनाशक को आसानी से ONLINE और OFFLINE दोनों तरीके से खरीद सकते है। अगर आप अपने फसल में लगने रोग के अनुसार हमारा कीटनशसक खरीदते है तो हम आपके घर तक इस कीटनाशक को आसानी से पंहुचा सकते है।  किसी भी तरह की अन्य जानकारी के लिए आप हमारे एक्सपर्ट को कॉल (+91 -9999570297) भी कर सकते है।  भारत के किसान कई वर्षों से हमारे कीटनाशक का प्रयोग कर रहें है और अपने फसलों का उत्पादन बढ़ा रहें है।

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टमाटर में लगने वाले रोग की अगर बात किया जाये तो इसमें कई तरह के रोग लगते है लेकिन अगर समय रहते देखभाल कर दिया जाये तो यह रोग पूरी तरह से ख़त्म हो जाते है।  नीचे हम कुछ प्रमुख रोग और उनके उपचार की जानकारी प्रदान कर रहें है।

Contents

1. आर्द्रपतन

टमाटर में आर्द्रपतन रोग का प्रकोप बीज अंकुरण के पूर्व अथवा बीज अंकुरण के बाद ज्यादा होता है।  शुरुवाती अवस्था में  इससे निकलने वाले बीज का भ्रूण जमीन पर आने से पहले ही खत्म हो जाता है।  मूलांकुर एवं प्राकूर बीज से बाहर निकलने के बाद सड़ जाते है और कुछ दिन बाद खत्म हो जाते है।  यह रोग कम उम्र के छोटे पौधों को ज्यादा प्रभावित करते है।  इस रोग की वजह से भूमि के अंदर वाले भाग पर संक्रमण हो जाता है, जिसमें एक प्रकार का धब्बा बन जाता है और पौधा संक्रमित स्थान से टूटकर गिर जाता है।  कभी – कभी पौधे में गलने के लक्षण भी दिखाई पड़ते है।  इस रोग का प्रकोप नम भूमि वाले स्थान पर ज्यादा देखने को मिलता है।   टमाटर में जब भी इस तरह के रोग दिखाई पड़े तो आप GEEKEN CHEMICALS का बना प्रोडक्ट Ribban (Captan 70%   Hexaconazole 5% WP) का प्रयोग कर सकते है यह , टमाटर के रोगों को पूरी तरह से ख़त्म कर उनकी फसल को और उपजाऊ बनाता है।

2. अगेती झुलसा

इस रोग के कारण टमाटर की पत्तियां छोटे – छोटे धब्बे के रूप में दिखाई पड़ती है।  शुरुवात में यह रोग बिखरे हुये गोलाकार, अंडाकार या कोणीय की तरह होते है।  जिसके कारण प्रभावित पत्तियां पीली पड़कर झड़ने लगती है और पौधा सड़ने लगता है। इससे ऊपज पर भी काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यह रोग ज्यादातर फफूद से उत्पन्न होता है जो वैकल्पिक परजीवी गुण वाले होते है।  यह अगर देखा जाये तो मूलरूप से मृतजीवी होता है परन्तु मेजबान के मिलने पर परजीवी हो जाता है।  यह रोग जब तक टमाटर की फसल को पूरी तरह से खत्म नहीं कर देता उस पर बना ही रहता है।  यह रोग तापमान में अत्यधिक गिरावट  एवं वायुमंडल में आर्द्रता के बढ़ने के कारण भी फैलता है।  किसान भाइयों के टमाटर की फसल में जब भी इस तरह के रोग दिखाई पड़ें उन्हें तुरंत इसे खत्म करने का समाधान ढूढ़ना चाहिए।  किसान भाइयों जैसा की आपने ऊपर जान लिया की यह रोग कितना खतरनाक होता है , इसलिए आप Kenzeb (Mancozeb 75% WP)और Ribban (Captan 70%   Hexaconazole 5% WP) का प्रयोग कर सकते है।  जो फसलों में लगने वाले कीड़ों को ख़त्म कर उन्हें और अधिक पैदावार बनाता है।

3. पक्षेती झुलसा

पछेती झुलसा रोग होने पर टमाटर के पत्ती के किनारे भूरे रंग से अनियमित गीले धब्बे बनाना शुरू हो जाते है।  जो मौसम की आकुलता को देखकर और तेजी से फैलते है।  कुछ समय बाद इस रोग की वजह से टमाटर की पत्तियां झुलसकर गिरने लगती है।  जिससे टमाटर की पैदावार काफी प्रभावित होती है।  पत्तियों के निचली सतह पर कुछ धब्बे परिधि पर रोगजनक की वृद्धि को दर्शाते है।  यह रोग टमाटर की पत्तियों के आलावा शाखाओं और तनों व फल को  भी प्रभावित करता है।  इस रोग के कारण फलों पर जैतूनी रंग के धब्बे बनते है, जो कुछ समय बाद बढ़कर पूरे फसल में फैल जाते है और टमाटर फटकर दो भागों में बट जाता है।  किसान भाइयों जैसा की आपने ऊपर जान लिया की यह रोग कितना खतरनाक होता है , इसलिए आप Kenzeb (Mancozeb 75% WP) का प्रयोग कर सकते है।  जो फसलों में लगने वाले कीड़ों को ख़त्म कर उन्हें और अधिक पैदावार बनाता है।  आप इसे अपने नजदीकी स्टोर से भी खरीद सकते है।

4 . फ्यूजेरियम म्लानि

इस रोग के कारण शुरू में पत्तियां पिली पड़ने लगती है और कुछ समय के बाद यह पीलापन पत्ती के ऊपरी भाग में फैल जाता है और नई पत्तियों का रंग हल्का होने लगता है।  इस रोग का प्रकोप इतना ज्यादा होता है कि यह टमाटर की पत्ती को निचे की तरफ झुका देता है और अंत में पौधा पूरी तरह से सुख जाता है।  अक्सर देखा गया है कि इस रोग के कारण स्तंम्भमूल सन्धि जड़ें तथा अन्य भूमिगत भाग ज्यादा प्रभावित होता है।  इस रोग के लक्षण संवहन पूल की कोषिकाओं का रंगीन होना है।  ऐसा कवक कर कारण होता है।  किसान अगर समय से इस रोग की रोकथाम नहीं करते है तो टमाटर की फसल पूरी तरह से खत्म होने लगती है।  यह रोग एक वर्ष से दूसरे वर्ष तक जमींन के अंदर जीवित रह सकता है।  टमाटर में लगने वाले यह फंगस कितने खतरनाक होते है जिसके बारें में आपने ऊपर पढ़ा है।  वहीँ अगर किसान भाइयों आपके फसल में भी इस तरह के फंगस का प्रकोप है तो आप G-Copper (Copper Oxychloride 50% WP) और Bonanza​ (Thiophanate Methyl 70% WP) का प्रयोग जरूर करें।  यह कम समय में ही फंगस को खत्म करता है और उनकी फसल को सुरक्षित बनाता है।

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निष्कर्ष 

आप यह ब्लॉग GEEKEN CHEMICALS के माध्यम से पढ़ रहें है।  आज हमने जाना कि टमाटर में कौन – कौन से रोगों का प्रकोप होता है और यह किस तरह से फसल को प्रभावित करते है। आशा है कि किसान भाइयों को हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा।  आप हमारे इस ब्लॉग को अपने जानने वालों में जरूर शेयर करें जिससे यह जानकारी और भी किसान भाइयों तक आसानी से उपलब्ध हो सकें और वह भी अपने फसलों में लगने वाले रोगों को रोकने के लिए बेहतर तरीके के Pesticides Manufacturers in Uttar Pradesh कीटनाशक का प्रयोग कर सकें। अगर आप भी अपने खेतों में लगने वाले रोगों , कीटों , खरपतवार को खत्म करने के लिए कीटनाशक खरीदने जा रहे है तो GEEKEN CHEMICALS के द्वारा बना प्रोडकट ही खरीदें , जो आसानी से आपको ONLINE और OFFLINE दोनों तरीके से उपलब्ध है|